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शिक्षा विभाग ने परिनियम बनाने के लिए कुलाधिपति से किया अनुरोध

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शिक्षा विभाग ने परिनियम बनाने के लिए कुलाधिपति से किया अनुरोध

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार,   

बिहार के विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग ने परिनियम बनाने के लिए कुलाधिपति से किया अनुरोध

बिहार के विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु सहायक प्राध्यापक, सह- प्राध्यापक एवं प्राध्यापक के पदों पर अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी। इस बाबत शिक्षा विभाग ने परिनियम बनाने के लिए राज्यपाल से अनुरोध किया। गौरतलब है कि राज्य के विश्वविद्यालयों में स्थाई प्राध्यापकों की नियुक्ति में अभी काफी विलम्ब हो सकता है क्योंकि मामला उच्च न्यायालय पटना में लंबित है। शिक्षा विभाग ने इस बाबत सृजित किए गए पदों के विरुद्ध उपलब्ध रिक्त पदों पर सीधी नियुक्ति के लिए परिनियम गठित करने के लिए राजभवन, बिहार से अनुरोध किया है। ज्ञात हो कि विगत तीन-चार वर्षों से पूरे राज्य के विश्वविद्यालय एवं विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों में लगभग तीन हजार अतिथि प्राध्यापक अपनी सेवा दे रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग के इस पहल का स्वागत करते हुए अतिथि प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ.ललित किशोर ने कहा कि शिक्षा विभाग का इस दिशा में पहल सराहनीय है। विगत तीन-चार वर्षों से पूरे राज्य में अतिथि प्राध्यापक उच्च शिक्षा को गति देने एवं गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक माहौल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।अतः राज्य सरकार को उनकी सेवा को समायोजित करते हुए 65 वर्ष तक सेवा विस्तार करना चाहिए। इस संदर्भ में बिहार राज्य विश्वविद्यालय अतिथि सहायक प्राध्यापक संघ ने राज्य सरकार एवं राजभवन को कई बार प्रतिवेदन भी प्रेषित किया है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत अब सभी विश्वविद्यालयों में सीबीसीएस पद्धति लागू हो गई है। चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में काफी अधिक प्राध्यापकों की जरूरत पड़ेगी। विगत कई वर्षों में छात्र नामांकन सकल अनुपात में कई गुना वृद्धि हुई है। छात्र अनुपात के अनुसार हजारो प्राध्यापकों की जरूरत है।इसे देखते हुए पूर्व से कार्यरत अतिथि प्राध्यापकों की सेवा समायोजित की जानी चाहिए और नए अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया अविलंब शुरू होनी चाहिए। इसके साथ ही पूर्व में हटाए गए हिंदी के अतिथि प्राध्यापकों की पुनः बहाली छात्र हित में अविलंब  होनी चाहिए।

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