![मूल्यांकन कार्य स्थगित रखते हुए दिया गया धरना मूल्यांकन कार्य स्थगित रखते हुए दिया गया धरना](https://i7news.in/wp-content/uploads/2023/11/धरना-768x489.jpg)
ध्रुव कुमार सिंह, मुज़फ्फरपुर, बिहार,
बीआरएबीयू द्वारा प्रतिदिन 80 कॉपी जाँच करनें के निर्णय के विरुद्ध शिक्षकों द्वारा दुसरे दिन भी मूल्यांकन कार्य स्थगित रखते हुए दिया गया धरना
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय द्वारा 40 की जगह 80 कॉपी प्रतिदिन जाँच करनें के निर्णय के विरुद्ध शिक्षकों ने लगातार दूसरे दिन भी दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में चल रहे स्नातक तृतीय खंड की उत्तर-पुस्तिकाओं के जाँच कर बहिष्कार करते हुए धरना दिया। धरनें पर बैठे शिक्षकों की मांग है की जब तक विश्वविद्यालय द्वारा जारी गलत नोटिफिकेशन वापस नही होता है, मूल्यांकन कार्य बाधित रहेगा। शिक्षको द्वारा प्रतिदिन 80 कॉपी का मूल्यांकन करना असंभव और गलत है और इससे गुणवतापूर्ण मूल्यांकन संभव नही है। शिक्षक नेता डॉ.रामविनोद शर्मा, डॉ.धर्मेन्द्र चौधरी, डॉ.सत्येन्द्र कुमार टुनटुन, डॉ.रणविजय सिंह, डॉ.अशोक कुमार, डॉ.संत ज्ञानेश्वर, डॉ.ललन शर्मा, डॉ.पी.के शाही, डॉ.परमहंश चौधरी, डॉ.सुनील कुमार सिंह, डॉ.दीपक कुमार, डॉ.शशांक शेखर, डॉ.पवन सिंह ने कहा कि कुछ शिक्षा माफिया के शह पर विश्वविद्यालय नें ये गलत फैसला थोपने का काम किया है और इससे सभी परीक्षार्थी प्रभावित होंगे, इसलिए सभी शिक्षको ने ये निर्णय लिया है जबतक फैसला वापस नही होगा, छात्रहित में मूल्यांकन कार्य बाधित रहेगा और धरना जारी रहेगा. शिक्षक नेताओं नें कहा की किसी परीक्षा के मूल्यांकन कार्य में छात्रों के द्वारा 3 घंटे अर्थात 180 मिनट में लिखी गई औसतन 20 पृष्ट की प्रति उत्तर पुस्तिका और प्रति उत्तरपुस्तिका में प्रत्येक विषय विशेष हेतु एक छात्र के 365 दिनों के अध्यन एवं अनुभव आधारित स्व- लिखित उत्तरों के मूल्यांकन हेतु प्रश्नों के उत्तर द्वारा प्रत्येक छात्र के वास्तविक ज्ञान को एक परीक्षक को जांच करनी होती है । यथार्थ स्थिति है की प्रातः 10 बजे से संध्या 4 बजे तक का मूल्यांकन कार्य काल की यदि गणना की जाय तो 6 घंटे में 360 मिनट ही आयेंगे। यदि प्रति उत्तरपुस्तिका हेतु औसत 10 मिनट भी दी जाय तो प्रति दिन एक परीक्षक द्वारा मशीनी रूप से अधिकतम 36 उत्तरपुस्तिका ही जांची जायेगी। शिक्षकों नें विश्वविद्यालय द्वारा 80 कॉपी प्रतिदिन जांचने के फरमान को अविवेकपूर्ण, अनैतिक और छात्र विरोधी बताया.