रामेश्वर चेथरू महाविद्यालय में मुंशी प्रेमचंद की 143वीं जयंती समारोह का हुआ आयोजन
ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार,
रामेश्वर चेथरू महाविद्यालय सकरा में 143 वीं प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ.विकास कुमार ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद सामाजिक चिंतक और भविष्य द्रष्टा थे।उनकी रचनाओं में मानवीय संवेदना व्याप्त है। प्रेमचंद समाज के अंतस से जुड़े साहित्यकार थे, जिसमें व्यक्ति,समाज व राष्ट्र कल्याण की भावना निहित है। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.बलराम कुमार ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद “20 वीं सदी का भारतीय जीवन परतंत्रता की आह में अपसंस्कृति का करुण चीत्कार कर रहा था, जब ऐसे मार्गदर्शक सत्य,साहित्य, सष्टा की आवश्यकता थी, मुंशी प्रेमचंद जी ने अवनति के गर्त में गिरते हुए भारतीय समाज को बदल दिया”। प्रेमचंद भारतीय समाज के आदर्शोन्मुख यथार्थवादी लेखक थे। मानवीय मूल्य, संवेदना व संस्कृति के दर्शन उनकी रचनाओं में मिलते हैं। हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ.संतोष कुमार ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद समाज में फैले छुआछूत, दहेजप्रथा,बालविवाह, बेमेल विवाह,जैसे कई विषयों पर अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को जागरूक करने का काम किए। प्रेमचंद अपने सर्वश्रेष्ट उपन्यास गोदान में गोबर के जरिये वर्तमान युवापीढ़ी का पलायन रूपी दंश को पाठक के बीच रखा है। वर्तमान समय में युवा वर्ग रोजगार की तलाश में दर-दर भटकता है एवं शोषण का शिकार होता है। वह हम गोदान के पात्र गोबर के जरिये समझ सकते हैं। वहीं राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ.प्रणव प्रेमी ने कहा कि प्रेमचंद सभी वर्गों के लेखक हैं। उनके द्वारा बताए गए उच्च आदर्श को हमें अपने व्यवहारिक जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। समारोह में उपस्थित छात्र/छात्राओं ने भी अपना विचार प्रकट किया। मंच संचालन डॉ.बलराम कुमार एवं आभार ज्ञापन डॉ.संतोष कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक डॉ.शांतनु कुमार,डॉ.कायनात तब्बसुम,डॉ.मंजरी दुबे, शिक्षकेत्तर कर्मी घनश्याम राय, मनीष कुमार, प्रमिला देवी सहित सैकड़ों छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।