ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार,
बारिश के बाद “स्मार्ट सिटी” मुजफ्फरपुर में ‘जल कैदी’ बने लोग, जलजमाव से लाखों की आबादी त्रस्त, पीड़ितों नें कहा नगर निगम के अयोग्य,अकर्मण्य और भ्रष्ट अधिकारीयों के रहते यही मुमकिन है
उत्तर बिहार की आर्थिक राजधानी मुजफ्फरपुर में कई वर्षों से पूरे जोर शोर से स्मार्ट सिटी के तहत जगह-जगह कई योजनाओं का काम चल रहा है। हालांकि स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्यों से जनता को सुविधा कम परेशानी ज्यादा पैदा हो रही है। स्मार्ट सिटी के सीवरेज निर्माण को लेकर खोदे गए गड्ढे में नगर निगम का ट्रक पलट गया। उसका एक चक्का रोड पर बने गड्ढे में धंस गया। विगत दो दिनों से हो रही हल्की बारिश में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी शहर के अधिकांश इलाके जलजमाव के शिकार हो गए है. शहर के सबसे पुराने इलाके और वार्ड 39 और 40 के पुराणी गुदरी रोड में तो विगत एक सप्ताह से दर्जनों घरों में नाले का पानी अभी भी लगा हुआ है, पुरानी गुदरी रोड, शुक्ला रोड, अमर सिनेमा रोड,कच्ची सारे रोड,महिला शिल्प कला भवन महिला महाविद्यालय के सामनें, आमगोला रोड सहित शहर के दर्जनों इलाके में सड़कों पर जलजमाव होनें से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. जलजमाव से पीड़ित लोगों नें बताया की विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी नालों से मिटटी उड़ाही कागज पर ही हुई है.जिसके कारण शहर के अधिकांश नाले मिटटी से लबालब भरे हुए है और एक घंटे की बारिश में ही घरों में जाम नाले का पानी घुस गया है. आक्रोशित लोगों का कहना है कि मुजफ्फरपुर नगर निगम के अयोग्य,अकर्मण्य और भ्रष्ट अधिकारियों के रहते यही मुमकिन है. विदित हो की मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से शहर में लोगों के घरों से निकलने वाले जल-मल का निष्पादन करने के लिए सीवर लाइन का काम चल रहा है, उसकी गति काफी धीमी है। पंद्रह दिन में जिस कार्य को करने की जिम्मेदारी एजेंसी को थी उस कार्य को एजेंसी डेढ़ माह में भी पूर्ण नहीं कर सकी है। गौरतलब है की स्मार्ट सिटी की 278 करोड़ की इस योजना पर तोशिबा वॉटर सान्युशंस प्राइवेट लिमिटेड एवं जयंती सुपर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक दो एजेंसियां कार्य कर रही है। आश्चर्य की बात है की साफ-सफाई पर हर माह डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने के बावजूद शहर में सफाई व्यवस्था बेपटरी हो गई है। प्रमुख सड़कों से कचरा नहीं उठ रहा है। गली-मोहल्लों की भी स्थिति नारकीय है। सभी वार्ड में 18-18 सफाई कर्मियों की तैनाती है, लेकिन इनमें रोज पांच से छह सफाईकर्मी नहीं पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर बीते 8 अगस्त की रात भारी बारिश के कारण पानीकल वाहन यार्ड के डूब जाने से 53 आटो टिपर में खराबी आ गई। महज 35 ऑटो टिपर कचरा उठा रहे हैं। मुजफ्फरपुर शहर में हर तरफ गंदगी पसरी है। इससे शहरवासियों के साथ वार्ड पार्षदों में गहरी नाराजगी है। इसे मेयर भी स्वीकार कर रही हैं। शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए 12 सौ सफाईकर्मियों पर 1.20 करोड़ और डीजल पर 30 लाख रुपए से ज्यादा हर माह खर्च हो रहा है। वार्ड- 27 के पार्षद अजय ओझा नें बताया की है कि एक दर्जन से ज्यादा सफाईकर्मी वार्ड में नहीं पहुंच रहे हैं। इस वजह से कचरा उठाव में परेशानी हो रही है। यह समस्या केवल वार्ड 27 की ही नहीं है। शहर के लगभग सभी वार्ड में इसी तरह की स्थिति है। वार्ड 40 के वार्ड पार्षद ने सफाई व्यवस्था चरमराने और जलजमाव के पीछे सिटी मैनेजर को जवाबदेह ठहराया। उन्होंने बताया कि विगत अप्रैल माह में ही सिटी मैनेजर को वार्ड में हो रहे कागजी नाला सफाई की सूचना दी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण वार्ड 40 के अधिकांश इलाके में जलजमाव है और लोगों के घरों में नाले का पानी घुस गया है.