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गुणवत्तापूर्ण एवं लचीली शिक्षण प्रणाली:- प्रो.(डॉ.) अजीत कुमार

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गुणवत्तापूर्ण एवं लचीली शिक्षण प्रणाली:- प्रो.(डॉ.) अजीत कुमार

  

सी.बी.सी.एस (चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) एक गुणवत्तापूर्ण एवं लचीली शिक्षण प्रणाली:- प्रो.(डॉ.) अजीत कुमार, कुलानुशासक, बीआरएबीयू

ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार

सीबीसीएस योजनान्तर्गत स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रम से संबंधित कार्यशाला रामवृक्ष बेनीपुरी महिला महाविद्यालय मुजफ्फरपुर में आयोजित की गई। कार्यशाला में मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न महाविद्यालयों के  शिक्षकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप- प्रज्वलन से की गई। कार्यशाला के मुख्य वक्ता के रूप में बीआर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ.अजीत कुमार ने विभिन्न महाविद्यालयों  से आए प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम एक गुणवत्तापूर्ण और लचीली शिक्षण प्रणाली है। यह प्रणाली छात्रों को विभिन्न विषयों को चुनने और सीखने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। छात्र प्रत्येक सेमेस्टर में वैकल्पिक, कोर और सॉफ्ट स्किल पाठ्यक्रमों की सूची में से विषय चयन कर सकते हैं। उच्च शिक्षा में विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली शिक्षार्थियों को अपनी शिक्षा से अधिक लाभ प्राप्त करने की अनुमति प्रदान करता है। यह उन्हें कौशल युक्त बनाता है जो किसी भी संस्था के लिए मूल्यवान साबित हो सकता है। उन्होंने शिक्षकों को सलाह दी कि वह ज्यादा मेहनत करके और रुचि दिखाकर पाठ्यक्रमों का गहन अध्ययन करते हुए छात्रों को शिक्षा प्रदान करें। इस पद्धति के माध्यम से छात्रों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। चॉइस बेस्ड सिस्टम पूरे देश में लागू कर दिया गया है। इसे सफल बनाना शिक्षकों का दायित्व है। अभी दो सेमेस्टर का सिलेबस जारी किया गया है। जिसे शत प्रतिशत पूरा करना शिक्षकों की खास जिम्मेदारी है। विशिष्ट वक्ता के रूप में रामदयालु सिंह महाविद्यालय  के डॉ.रामकुमार ने सीबीसीएस सिस्टम की चुनौतियों की ओर शिक्षकों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि इस पद्धति में छात्रों के अंकों की गणना मुश्किल होगी इसके साथ ही शिक्षकों पर वर्क लोड काफी बढ़ेगा। कोर एवं सॉफ्ट विषयों के बीच अनुरूप बनाना चुनौतीपूर्ण होगा। अलग-अलग प्रकार के विषयों को एक साथ चुन लेना छात्रों के लिए मुसीबत का सबब हो सकता है। सेमेस्टर होने की वजह से ज्यादातर समय पेपर सेटिंग और परीक्षा लेने एवं मूल्यांकन करने में ही खर्च हो जाएगा। इससे रिसर्च और नवाचार प्रभावित हो सकता है। छात्रों को वर्ग में बुलाया और 75% उपस्थिति करना चुनौतीपूर्ण टास्क होगा। विश्वविद्यालय के कई महाविद्यालयों  में इंफ्रास्ट्रक्चर ना होने से परेशानियां बढ़ सकती है। इस चुनौतियों के बावजूद शिक्षकों के साथ-साथ विश्वविद्यालय को भी आगे आकर इसे सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। लगातार वर्कशॉप आयोजित करने की जरूरत है। इससे पूर्व रामवृक्ष बेनीपुरी महिला महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.ममता रानी ने मुख्य वक्ता सह कुलानुशासक डॉ.अजीत कुमार को अंग वस्त्र एवं मोमेंटो देकर स्वागत किया । अपने स्वागत भाषण में प्राचार्या  ने कहा कि चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम शिक्षा में गुणवत्ता और उत्कृष्टता लाने में सफल होगा। इसे सफल बनाने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। लगातार एकेडमिक काउंसिल की बैठक बुलाकर इस पद्धति में कई सुधारात्मक उपाय करने होंगे। लगातार वर्कशॉप के माध्यम से शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है। कार्यशाला में सीबीसीएस सिस्टम की चुनौतियों और कठिनाइयों पर डॉ.लक्ष्मी, डॉ.एम.एन रिजवी, डॉ.शालिनी, डॉ.एमपी शुक्ला, डॉ.फिरोज आलम, डॉ.सोनल, डॉ.साजिदा अंजुम सहित कई शिक्षकों ने सवाल पूछे। वर्कशॉप का संचालन एवं विषय प्रवेश डॉ.चेतना वर्मा ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ.वंदना सिंह ने किया।

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