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मूल्यांकित 17 लाख उत्तर पुस्तिकाएं बेचने पर प्राथमिकी दर्ज

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मूल्यांकित 17 लाख उत्तर पुस्तिकाएं बेचने पर प्राथमिकी दर्ज

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक द्वारा अवैध रूप से विभिन्न परीक्षाओं से संबंधित मूल्यांकित 17 लाख उत्तर पुस्तिकाएं बेचने पर प्राथमिकी दर्ज

ध्रुव कुमार सिंह, मुज़फ्फरपुर, बिहार, 

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिकाओं के गायब करने एवं गबन करने का बड़ा मामला सामने आया है। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी ललन कुमार ने चाेरी-चुपके विभिन्न परीक्षाओं से संबंधित मूल्यांकित 17 लाख उत्तर पुस्तिकाएं  बेच दी। मामला संज्ञान में आने पर कुलपति डॉ.(प्रो.) दिनेश चंद्र राय के आदेश पर परीक्षा नियंत्रक डॉ.टी.के डे एवं दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी ललन कुमार के खिलाफ विश्वविद्यालय थाने में सरकारी संपत्ति गायब करने के साथ गबन करने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के भंडारपाल सह प्रशाखा पदाधिकारी कुंदन कुमार ने परीक्षा नियंत्रक डॉ.टी.के डे और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रशासनिक पदाधिकारी ललन कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है। प्राथमिकी में कहा गया है कि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय परिसर में सत्र 2020 से 2024 सत्र की 17 लाख मूल्यांकित उत्तर पुस्तिकाएं रखी हुई थीं। इसका अभिरक्षक दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी ललन कुमार को बनाया गया था। भंडारपाल कुंदन कुमार ने थाने में दिए आवेदन में कहा कि जब वे दैनिक कार्य संपादन के दौरान दूरस्थ शिक्षा निदेशालय पहुंचे तो देखा कि उत्तर पुस्तिका वहां नहीं थीं. तत्पश्चात इसकी लिखित सूचना परीक्षा नियंत्रक को दी. किन्तु उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इसके बाद मामले की जानकारी कुलसचिव डॉ.संजय कुमार को दी। तत्पश्चात कुलसचिव ने मामले की जानकारी कुलपति को दी. मामले की जानकारी मिलते ही कुलपति ने दोषियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया. भंडारपाल कुंदन कुमार के आवेदन पर विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष प्रवीण कुमार ने 409, 420,120B और 34 की विभिन्न धाराओं में लोक सेवक द्वारा संपत्ति का आपराधिक हनन, धोखाधड़ी और एक से अधिक लोग मिलकर इस घटना को अंजाम देने जैसी धाराओं में विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक और प्रशासनिक पदाधिकारी ललन कुमार के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज किया है. गौरतलब है कि विश्वविद्यालय नियमावली के तहत उत्तर पुस्तिकाओं को परिणाम जारी करने के बाद तीन से पांच वर्ष तक स्टोर में सुरक्षित रखना है ताकि किसी विद्यार्थी द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगें जानें पर उनकी उत्तर पुस्तिका उपलब्ध करायी जा सकें. वर्तमान में विद्यार्थियों कें सैंकड़ों आवेदन लंबित हैं और आवेदक अपनी उत्तर पुस्तिका के लिए विश्वविद्यालय का चक्कर लगानें को विवश है. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों और कर्मियों ने बताया की दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी ललन कुमार वर्षों से आर्थिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा रहता है. पूर्व कुलपति डॉ.राजदेव सिंह द्वारा इसे ब्लैक लिस्ट किया गया था. उनके जाने के बाद के कुलपतियों और अन्य अधिकारियों से सांठगांठ से इसका भ्रष्टाचार फलता फूलता रहा है. विश्वविद्यालय सूत्रों ने बताया कि ललन कुमार की नियुक्ति भी अवैध है. पूर्व में भी प्रशासनिक अधिकारी ललन पर आर्थिक और प्रशासनिक घोटालों से सम्बन्धित कई जांच और प्राथमिकी दर्ज है. विश्वविद्यालय के भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षण और वरदहस्त रहने के कारण आजतक न सिर्फ यह अपनें पद पर बना हुआ है बल्कि नित नए भ्रष्टाचार में आकंठ लिप्त है. प्रशासनिक अधिकारी ललन कुमार के विरुद्ध विगत 10 वर्षों में विश्वविद्यालय को 02 दर्जन से अधिक लिखित शिकायत मिलने के बावजूद विश्वविद्यालय द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं किये जाने से स्पष्ट होता है की उसका सारा खेल विश्वविद्यालय के अधिकारियों के सहयोग, संरक्षण और वरदहस्त के बिना संभव नहीं है. अब देखने वाली बात है की इस नए घोटाले को लेकर क्या नव-नियुक्त कुलपति कोई ठोस कारवाई कर पाते हैं या पूर्व की भांति यह मामला भी कुछ दिनों के बाद ठंडे बस्ते में चला जायेगा.

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