ध्रुव कुमार सिंह, मुज़फ्फरपुर, बिहार,
शिक्षकों के बिना मानव जीवन सार्थक नहीं- प्रो.अजीत कुमार, कुलानुशासक, बीआरएबीयू
इतिहास विभाग, बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के तत्वाधान में शिक्षक दिवस के अवसर पर “विचार अभिव्यक्ति” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो.अजीत कुमार ने अपने सम्बोधन में भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने पाश्चात्य प्रणाली के शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य पेशेवर सम्बन्ध की जगह भारतीय संस्कृति के वेदों, उपनिषदों एवं आख्यानों में वर्णित आत्मीय, भावनात्मक एवं ज्ञानात्मक सम्बन्ध को विकसित करने की महत्ता को रेखांकित किया। प्रो.कुमार ने कहा कि शिक्षक का हमारे जीवन में अमूल्य योगदान है. शिक्षकों के बिना यह मानव जीवन सार्थक नहीं है. हर किसी के जीवन में एक गुरु या शिक्षक का होना बेहद आवश्यक है. इसलिए हम सभी को सदा शिक्षकों का मान-सम्मान करना चाहिए और उनकी बातों पर अमल करना चाहिए. इस अवसर पर प्रो.पंकज कुमार रॉय ने वर्तमान परिदृश्य में शिक्षकों की बदलती भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ.अंशु त्यागी ने स्त्री शिक्षा के विकास में सावित्रीबाई फुले के योगदान को याद करके राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों के योगदान पर चर्चा किया। इस अवसर पर विभाग के अन्य शिक्षक डॉ.अर्चना पांडेय, डॉ.गौतम चंद्रा और डॉ.सत्य प्रकाश राय आदि भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर स्नातकोत्तर प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के छात्र एवं छात्राओं ने “व्यक्ति एवं राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका” विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर के अमर कुमार, संस्कृत पाठन नेहा कुमारी और गायन आस्था झा के द्वारा किया गया। इसके अतिरिक्त अंजलि, लकी, मनीषा, सौरभ, चन्दन, अभिषेक, निशांत, विकास और अन्य छात्र-छात्राओं ने शामिल हो कर आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।