Home Pradesh Uttar Pradesh मुख्यमंत्री  ने अपनी शीलता और साहस से उ0प्र0 की कानून व्यवस्था को मजबूत किया

मुख्यमंत्री  ने अपनी शीलता और साहस से उ0प्र0 की कानून व्यवस्था को मजबूत किया

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मुख्यमंत्री  ने अपनी शीलता और साहस से उ0प्र0 की कानून व्यवस्था को मजबूत किया

मुख्यमंत्री, राज्यसभा के उपसभापति तथा उ0प्र0 विधानसभा के
अध्यक्ष जनपद गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के
91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की उत्कृष्ट संस्थाओं, शिक्षकों, कर्मचारियों,
विद्यार्थियों तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया,
श्री जगदम्बा मल्ल द्वारा लिखित पुस्तक ‘पूर्वोत्तर के प्रहरी-नागालैंड’ का विमोचन किया

जीवन में विजेता बनने के लिए शिक्षित होने के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण, ज्ञान, शिक्षण संस्थानों में संवाद के वातावरण और अनुभव से अर्जित होता : मुख्यमंत्री

सफलता हासिल करने के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ का कोई विकल्प नहीं होता

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद चार दर्जन संस्थाओं के
माध्यम से निरंतर शिक्षा और सेवा के प्रकल्पों को आगे बढ़ा रही

शिक्षा, गरीबी दूर करने की चेतना लाने का एकमात्र माध्यम : राज्य सभा के उपसभापति

उ0प्र0 में मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में नकल रोकने का बड़ा प्रयास हुआ

मुख्यमंत्री जी की पहल पर उ0प्र0 में बड़ी संख्या में
नए शिक्षकों की नियुक्ति हुई है और बच्चों की उपस्थिति भी विद्यालयों में बढ़ी

जीवन की पहचान संस्कार, व्यक्तित्व, सेवा, मेधा और समर्पण से : विधान सभा अध्यक्ष

हमारे उद्देश्य स्पष्ट और उसके लिए कार्य अनुशासनपूर्ण होने चाहिए


लखनऊ :  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ   ने कहा है कि शिक्षा प्राप्त करना केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं है। पुस्तकीय ज्ञान से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त की जा सकती है। पर, जीवन में विजेता बनने के लिए शिक्षित होने के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण है। ज्ञान, शिक्षण संस्थानों में संवाद के वातावरण और अनुभव से अर्जित होता है।
मुख्यमंत्री   ने  गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यह विचार व्यक्त किए। आयोजन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश तथा मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री सतीश महाना थे।
मुख्यमंत्री   ने कहा कि सफलता हासिल करने के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ का कोई विकल्प नहीं होता है। उद्देश्य के अनुरूप प्रतिबद्ध होकर समय सीमा में कार्य करते हुए आगे बढ़ने पर लक्ष्य प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। मुख्यमंत्री जी ने महान कवि श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रचना, ‘वसुधा का नेता कौन हुआ, भूखण्ड-विजेता कौन हुआ, अतुलित यश क्रेता कौन हुआ, नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ, जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया’ का उदाहरण देकर विद्यार्थियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखते हुए परिश्रम करेंगे तो सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेंगे।
मुख्यमंत्री   ने कहा कि सन् 1932 में जब युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की तब उनका संकल्प था कि देश को गुलामी से मुक्ति मिलने के बाद कैसे नागरिक मिलने चाहिए। उसी संकल्प पर चलते हुए आज यह परिषद चार दर्जन संस्थाओं के माध्यम से निरंतर शिक्षा और सेवा के प्रकल्पों को आगे बढ़ा रही है। उन्होने ने कहा कि जीवन में कृतज्ञता का भाव सदैव बने रहना चाहिए। कृतज्ञता का भाव सकरात्मकता से आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। इसको और स्पष्ट करने के लिए उन्होंने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के अपने गुरु के प्रति प्रकट किए गए भाव के क्रियात्मक पक्ष का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी के गुरु को अंग्रेज सरकार ने आजादी के आंदोलन में भाग लेने के कारण शिक्षक की नौकरी से निकाल दिया। तब गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने लिए महंत दिग्विजयनाथ जी ने एक स्कूल खोला और गुरु को प्रधानाचार्य बना दिया। यही स्कूल महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की आधारशिला बना।
इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने कहा कि शिक्षा, गरीबी दूर करने की चेतना लाने का एकमात्र माध्यम है। किसी बड़े घराने में पैदा होना भाग्य पर निर्भर है, लेकिन शिक्षा से एक व्यक्ति बड़े घरानों से भी आगे अपना यश लिख सकता है। शिक्षा ने भाग्य आधारित समृद्धि के पुराने रास्ते की अवधारणा को बदल दिया है। शिक्षा के इसी महत्व के कारण 91 वर्ष पूर्व ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी ने शिक्षा को समग्र विकास के माध्यम के रूप में चुना और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की।  उन्होंने शिक्षा से यश गाथा लिखने के संदर्भ में इंफोसिस के संस्थापक श्री नारायण मूर्ति का उद्धरण देते हुए कहा कि शिक्षा के आधार पर ही उन्होंने दुनिया की प्रतिष्ठित कम्पनी बना डाली। अमेरिका अपने शिक्षण संस्थानों के कारण ही आज लीडर बना हुआ है। दुनिया को बदलने वाले अनुसंधान शिक्षण संस्थाओं से ही निकलते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के योगदान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि परिषद में बौद्धिक, मानसिक तथा शारीरिक विकास के साथ चरित्र निर्माण का जो काम होता है वह शायद ही दुनिया में कहीं और होता होगा।
राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ   के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में नकल रोकने का बड़ा प्रयास हुआ है। यू0पी0 में एक दौर ऐसा भी आया था जब परीक्षार्थी से अधिक नकल करने वाले दिखते थे। यह प्रतिभाओं के साथ अन्याय था। नकलविहीन परीक्षा से प्रतिभाओं को मौका मिला है और इससे यू0पी0 के विद्यार्थी दुनिया में रहनुमाई करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिभा पूरी तरह प्रकृति प्रदत्त नहीं होती है बल्कि इसके लिए परिश्रम व संकल्प जरूरी है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति   अब्राहम लिंकन द्वारा अपने बच्चे के विद्यालय के शिक्षक को लिखे गए एक पत्र का उल्लेख करते हुए श्री हरिवंश ने कहा कि नकल से पास होने की बजाय फेल होना बेहतर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी की पहल पर उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में नए शिक्षकों की नियुक्ति हुई है और बच्चों की उपस्थिति भी विद्यालयों में बढ़ी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा शिक्षण संस्थानों के इंडस्ट्री से जुड़ने और नवाचार, अनुसंधान पर ध्यान देने के आह्वान की सराहना करते हुए राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि इससे कई चुनौतियों का समाधान निकलेगा।
गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली पर आने को गौरव बताते हुए राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि नाथ पंथ की सर्वोच्च पीठ होने के साथ गोरक्षपीठ जनजागरण, शिक्षा और सेवा का भी केंद्र है। इस पीठ के युगद्रष्टा ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने शैक्षिक क्रांति और राष्ट्रीयता की अदम्य भावना से महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की तो ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने उनके विजन को आगे बढ़ाया और सामाजिक कुरीतियों से लड़कर सामाजिक समरसता को भी मजबूत किया। वर्तमान महंत योगी आदित्यनाथ इन सभी कार्यों को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। गोरक्षपीठ के मार्गदर्शन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्कार देने वाली और नए इंसान को बढ़ाने वाली शिक्षा व्यवस्था को आगे बढ़ा रही है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री सतीश महाना ने कहा कि आज एडवांस टेक्नोलॉजी और डिजिटलाइजेशन के दौर में एबीसीडी से लेकर हायर एजुकेशन तक की पढ़ाई बच्चे लैपटॉप या स्मार्टफोन जैसे डिवाइस से कर रहे हैं। पर, डिवाइस की पढ़ाई से संस्कारयुक्त शिक्षा नहीं हासिल की जा सकती है। डिवाइस से साहचर्य, समर्पण, शीलता, विनम्रता और साहस जैसे गुणों का विकास नहीं हो सकता। अगर इन गुणों के साथ संस्कारयुक्त शिक्षा को आगे बढ़ाना है तो महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद जैसी संस्थाओं का संरक्षण अति आवश्यक है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह विचारणीय प्रश्न है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी इस बात पर चर्चा करने की आवश्यकता पड़ती है कि शिक्षा का स्वरूप क्या हो। पूर्व में शिक्षा के दो ही ध्येय होते थे, लड़के के लिए नौकरी और लड़की के लिए अच्छी शादी। एक लंबे समय तक रोटी, कपड़ा और मकान ही जीवन के तीन निशान बताए गए। वास्तव में यह तीन निशान आवश्यकता हैं, जीवन की पहचान नहीं हैं। जीवन की पहचान संस्कार, व्यक्तित्व, सेवा, मेधा और समर्पण से होती है।
विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि सेवा और संस्कारयुक्त शिक्षा ही भारत की पहचान रही है और यही दुनिया को दिशा देती रही है।  सफलता हासिल करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष श्री महाना ने विद्यार्थियों को दिमाग को नियंत्रित करने के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि हमारी सुनने की क्षमता समाप्त होती जा रही है। हम जो सुनते हैं, वही सोचते हैं। अगर हम अच्छी बात सुनेंगे तो हमारे मन में अच्छे विचार आएंगे। जैसा सुनेंगे वैसा सोचेंगे, जैसा सोचेंगे वैसा काम करेंगे, जैसा काम करेंगे वैसा हमारा स्वभाव बनेगा और जैसा हमारा स्वभाव होगा वैसा ही चरित्र बनेगा। इसलिए दिमाग को नियंत्रित करना जरूरी है।
विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे उद्देश्य स्पष्ट और उसके लिए कार्य अनुशासनपूर्ण होने चाहिए। ऊंचाइयों पर पहुंचना तो आसान होता है पर उसे पर बने रहने के लिए ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है। उन्हांने वर्तमान में जीने, समय प्रबंधन, सेवा, दूसरे के सम्मान के साथ विद्यार्थियों को मन, कर्म व वचन में एकरूपता लाने की नसीहत भी दी। अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री जी की कार्यशैली और उनके संरक्षण में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यों की मुक्तकंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने अपनी शीलता और साहस से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को मजबूत किया है। योगी जी की प्रसिद्धि विश्व भर में है।
संस्थापक सप्ताह के मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री जी, राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश व उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री सतीश महाना ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की उत्कृष्ट संस्थाओं, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर श्री जगदम्बा मल्ल द्वारा लिखित पुस्तक ‘पूर्वोत्तर के प्रहरी-नागालैंड’ का विमोचन भी किया गया। संस्थापक सप्ताह के समापन समारोह में स्वागत संबोधन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो0 यू0पी0 सिंह ने किया।
इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 पूनम टंडन, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डाॉ अतुल वाजपेयी, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति प्रो0 हरि बहादुर श्रीवास्तव, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, कुशीनगर के सांसद श्री विजय दूबे, विधायक श्रीराम चौहान, श्री राजेश त्रिपाठी, श्री विपिन सिंह, एम0एल0सी0 डॉॉ धर्मेंद्र सिंह आदि की प्रमुख सहभागिता रही।
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