Tuesday, April 16, 2024
HomeHealth & Fitnessमुंबई के फोर्टिस हॉस्पिटल ने सफलतापूर्वक 100 बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स किये

मुंबई के फोर्टिस हॉस्पिटल ने सफलतापूर्वक 100 बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स किये

मुंबई के फोर्टिस हॉस्पिटल ने सफलतापूर्वक 100 बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स किये
मुंबई (अनिल बेदाग): फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड ने 100 बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स (बीएमटी) सफलतापूर्वक पूरा करके चिकित्‍सा के इतिहास में एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि खून की बीमारियों के मरीजों की आशा, मजबूती और बदलाव लाने वाली देखभाल का एक शानदार सफर दिखाती है।
बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स (बीएमटी) भारत में लगातार बढ़ रहे हैं और हर साल लगभग 2500 ट्रांसप्‍लांट्स किये जा रहे हैं। लेकिन यह देश की असल जरूरत के 10% से भी कम है। इसके कई कारण हैं, जैसे कि उपचार विकल्‍पों पर जागरूकता का अभाव, सीमित पहुँच, खर्च और सही समय पर रोग-निदान न होना। इन चुनौतियों को दूर करने और उपचार तक पहुँचने की कमियों को ठीक करने के‍ लिये फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड में इंस्टिट्यूट ऑफ ब्‍लड डिसऑर्डर्स की स्‍थापना हुई थी।
फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड में हीमैटोलॉजी, हीमैटो-ओन्‍कोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट (बीएमटी) के डायरेक्‍टर डॉ. सुभाप्रकाश सान्‍याल ने अपनी सक्षम टीम के साथ मिलकर खून की विभिन्‍न बीमारियों के मरीजों के लिये सफल बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स की एक श्रृंखला चलाई। उनकी टीम में हीमैटोलॉजी एवं बीएमटी के कंसल्‍टेन्‍ट डॉ. हम्‍जा दलाल, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की असोसिएट कंसल्‍टेन्‍ट डॉ. अलीशा केरकर, इंफेक्शियस डिसीजेस की कंसल्‍टेन्‍ट डॉ. कीर्ति सबनीस, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के हेड डॉ. ललित धानतोले, आदि जैसे विशेषज्ञ थे। उन्‍होंने खून की जिन बीमारियों के लिये बीएमटी किये, उनमें मल्‍टीपल मायलोमा, लिम्‍फोमा, ल्‍युकेमिया, मीलोडिस्‍प्‍लास्टिक सिंड्रोम, मीलोफाइब्रोसिस, एप्‍लास्टिक एनीमिया, आदि शामिल थीं।
फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड में हीमैटोलॉजी, हीमैटो-ओन्‍कोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट (बीएमटी) के डायरेक्‍टर डॉ. सुभाप्रकाश सान्‍याल ने बताया कि हॉस्पिटल ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि केन्‍या, तंजानिया और बांग्‍लादेश से आने वाले मरीजों का भी इलाज किया। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि बीएमटी की जरूरत पर जागरूकता की कमी के कारण चुनौती होती है और इस कारण विशेषज्ञों से परामर्श लेने में अक्‍सर विलंब होता है। खून की बीमारियों पर जागरूकता कार्यक्रमों समेत डॉ. सान्‍याल की कोशिशों ने उपचार की कमी को दूर करने और खून की बीमारियों के ज्‍यादा मरीजों तक पहुँचने में योगदान दिया है।
बीएमटी की विधियों में हालिया प्रगति से इलाज में काफी बदलाव आया है, परिणामों में सुधार आया है और दुष्‍प्रभाव कम किये हैं। डॉ. सान्‍याल ने सीएआर टी-सेल थेरैपी के महत्‍व पर रोशनी डाली। यह अत्‍याधुनिक इम्‍युनोथेरैपी है, जो कैंसर का मुकाबला करने के लिये इम्‍युन सिस्‍टम को आनुवांशिक तरीके से रिप्रोग्राम करती है। इस प्रकार एग्रेसिव लिम्‍फोमा, ल्‍युकेमिया और मल्‍टीपल मीलोमा के मरीजों को निजीकृत एवं लक्षित समाधान मिलते हैं।
फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड के फैसिलिटी डायरेक्‍टर डॉ. विशाल बेरी ने कहा कि ब्‍लड कैंसर और सही समय पर होने वाले इलाज के महत्‍व पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि ब्‍लड कैंसर का जल्‍दी पता लगने से जीवित रहने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। उन्‍होंने दोहराया कि उपचार के दूसरे विकल्‍पों से थक चुके मरीजों को उम्‍मीद देने में बीएमटी का प्रभाव काफी बदलाव कर सकता है।  टी-सेल थेरैपी को मानक उपचार बताते हुए डॉ. बेरी ने एग्रेसिव लिम्‍फोमाज से मुकाबला करने में चिकित्‍सा के आधुनिक तरीकों को शामिल करने पर जोर दिया। यह आधुनिक औषधि-विज्ञान में एक महत्‍वपूर्ण प्रगति है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments