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माता-पिता की सेवा प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य

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माता-पिता की सेवा प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य

माता-पिता की सेवा प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य- प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी
म. सा.,
नीमच   माता-पिता की सेवा मनुष्य का कर्तव्य
होता है यह सभी को निर्वहन करना चाहिए। माता-पिता की सेवा में ही सच्चा सुख
निहित होता है।लेकिन लोग पैसा परिवार पद प्रतिष्ठा में सुख खोजते हैं यह सुख
हमें सुख कम और दुख ज्यादा देता है इसकी प्राप्ति भी दुखद दुखप्रद और समाप्ति
भी दुख प्रद होती है ।मगर संसार के सुख के मायने अलग होते हैं।माता-पिता की
सेवा में ही सच्चा सुख होता है।यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक,
कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक
संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में
आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक
सुख कभी भी विनष्ट नहीं होते किसी को एक बार आध्यात्मिक सुख की अनुभूति
हो जाती है तो वह फिर भी विनष्ट नहीं होती। संसारी लोग भौतिक सुख की
चाह रखते हैं जो कभी पूरी नहीं होती है भौतिक सुख तो दूसरों को दुख
दिए बिना प्राप्त ही नहीं होता है और जो दुख की नींव पर खड़ा हो वह सुख नहीं
दुख ही होता है सुख तो वही सच्चा और वास्तविक सुख होता है जो दुख रहित
होता है।जीवन कितना उम्र तक जिया यह महत्वपूर्ण नहीं होता है जीवन किस प्रकार
जिया महत्वपूर्ण होता है। साधु को समाचारी नियम दोष से बचना चाहिए तभी
आत्मा का कल्याण होता है जीवन की साधना में दोष से बचना चाहिए। बहता पानी
निर्मल होता है। उसी प्रकार साधु रमता हुआ पवित्र होता है। चंद्रेश मुनि जी
महाराज साहब ने कहा कि साधु साध्वी के कदमों से भूमि पवित्र हो जाती है
साधना उपासना नियम से वातावरण की शुद्धि होती है।संघ में प्रेम स्नेह का
वातावरण बढ़ता है। प्रत्येक व्यक्ति के व्रत तपस्या उपवास करने की क्षमता अलग-अलग
होती है।साधवी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि धर्म आराधना
पवित्र मन से करना चाहिए। कठिनाईयां चाहे कितनी भी क्यों ना हो। तपस्या उपवास
के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन ,शांति जाप एवं तप की आराधना भी
हुई।इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक
अनुमोदना की।
धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा.,
अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि
ठाणा का सानिध्य मिला। धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या
में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म
सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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