नीमच। स्वतंत्रता दिवस फुटबॉल प्रतियोगिता नगरपालिका परिषद नीमच के तत्वावधान में हो रही है, जिसको लेकर बीते दिनों डीएफए के पदाधिकारियों और पार्षदों की एक बैठक टाउनहॉल में आयोजित की गई।
स्टेडियम के बाहर लगी चाय स्टॉलों पर चाय पर चर्चा करते कुछ फुटबॉल खिलाडियों और जागरूक आमजन का कहना था कि डीएफए नीमच (जिला फुटबॉल एसोसिएषन) की कार्यप्रणाली और अन्य कारणों से 8-10 फुटबॉल क्लब नाराज चल रहे हैं, ऐसे में जब तक उन्हें स्वतंत्रता दिवस फुटबॉल प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए सहमत नहीं किया जाता, तब तक प्रतियोगिता कराने का औचित्य ही नहीं है। साथ ही बदहाल डॉ.राजेन्द्र प्रसाद स्टेडियम और दषहरा मैदान पर भी फुटबॉल प्रतियोगिताएं आयोजित करवाने से पूर्व इन्हें दुरूस्त करवाना चाहए।
अभी तक डीएफए के जिम्मेदार पदाधिकारियों के अडियल एवं तानाषाही रवैये के चलते सम्पूर्ण प्रतियोगिता दषहरा मैदान में कराई गई हैं। प्रतियोगिता के दौरान मैदान के चारों और आमजन वाहन लेकर खडे होते हैं, जिससे टकराकर फुटबॉल खिलाडी चोटिल हो जाते हैं। मैदान में जगह जगह गड्ढे और नालियां हैं, जिनमें खिलाडियों के पांव फिसलकर चोटिल हो रहे हैं। साथ ही अनफिट रैफरी प्रतियोगिता में मैच खिलाकर मात्र 1 हजार रूपए के इनाम के लालच में जनता और खिलाडियों का मनोबल तोड रहे हैं। जबकि कई अच्छे रैफरी बाहर मौजूद हैं जो निष्पक्ष रूप से फुटबॉल मैच खिलाने में सक्षम हैं और उनका षुल्क भी कम है। नपा के एक अधिकारी ने क्वार्टर फाईनल मैच में बाहर के 4 रैफरी बुलाकर प्रतियोगिता आयोजित करने की अनुमति दे दी थी, परन्तु डीएफए सचिव प्रमोद षर्मा के अडियल रवैये के चलते बाहर से रैफरी नहीं बुलाए और खर्चों का हवाला देकर टाल दिया गया। अधिकतर फुटबॉल क्लब व खिलाडी गरीब तबके के हैं, जो इनके इन अडियल रसूखदार पदाधिकारियों के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते हैं। षहर के कई गणमान्यजन इन प्रतियोगिताओं में मुख्य अतिथि के रूप में आ रहे है और मूकदर्षक बनकर मैच देख रहे हैं लेकिन उनका ध्यान मैदान व प्रतियोगिता के आयोजन की ओर नहीं है। वे सिर्फ फुलमाला पहनकर फोटो खिंचवाकर इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपलोड कर रहे हैं और झूठी वाहवाही लूट रहे हैं।
खिलाडियों ने नाम ना छापने की षर्त पर बताया कि डीएफए नीमच के सचिव प्रमोद षर्मा की जानकारी में तमाम बातें होने के बाद भी वे स्वयं अग्रणी होकर नगरपालिका द्वारा आयोजित प्रतियोगिता को खराब करने पर तुले हुए हैं। नगरपालिका जो पैसा इन प्रतियोगिताओं पर खर्च कर रही है, वह षहर की जनता का धन है और नपा के खजाने से फुटबॉल खिलाडियों की सुविधाओं के बजाए इन प्रतियोगिताओं में फालतु कामों में लाखों रूपया खर्च किया जा रहा है। नीमच का नाम देष और विदेष में फुटबॉल की वजह से मषहूर है, लेकिन ऐसी स्तरहीन प्रतियोगिताएं, जिनमें खिलाडियों का ध्यान कम और जिम्मेदारों द्वारा अडियल रवैया अपनाया जाता हो, तब लगता है फुटबॉल और नीमच का गौरव धीरे-धीरे समाप्त होता चला जाएगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि नगरपालिका इस प्रतियोगिता के लिए कितना बजट आवंटित करती है और खिलाडियों की सुविधाओं को कितनी प्राथमिकता देती है……
डीएफए के जिम्मेदार पदाधिकारियों के अडियल रवैये से आहत हो रहे खिलाडी
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