Home India जो स्वयं के लिये नहीं मांगता, ईष्वर उसे दिल खोलकर देता 

जो स्वयं के लिये नहीं मांगता, ईष्वर उसे दिल खोलकर देता 

0
जो स्वयं के लिये नहीं मांगता, ईष्वर उसे दिल खोलकर देता 

एक गांव में एक अत्यन्त गरीब बुढिया रहती थी, उसके एक लडका था, उनका जीवन बडा दुःखमय था। बडा परिश्रम करने के बाद भी दोनों समय का भोजन नहीं मिलता था कभी कभी तो भूखा ही सोना पडता था।
उसके गांव से दूर एक महात्मा रहते थे। उसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई थी। उसने अपने बेटे से कहा कि तू उस महात्मा के पास जा तथा उससे पूछकर आ कि मेरी दरिद्रता कब दूर होगी। अपनी मां की आज्ञा मानकर बेटा सुबह सुबह निकल पडा, उसकी मां ने एक टाईम का भोजन उसके साथ बांध दिया। चलते चलते वह थक गया और उसने एक पेड के नीचे बैठकर भोजन किया फिर वह चल पडा चलते चलते अंधेरा हो गया तो पास में ही एक मकान पर आवाज लगाई तो एक महिला बाहर आई उसने पूछा क्या बात है तो उसने कहा कि मैं एक महात्माजी के पास मेरी दरिद्रता कब दूर होगी यह पूछने जा रहा हूं, तो उस महिला ने कहा कि मेरा भी एक प्रष्न महात्माजी से पूछकर आना। तो उसने कहा कि आप प्रष्न बताईये मैं आते वक्त आपको महात्माजी से पूछकर बतलाउंगा तो मेरा यह प्रष्न है कि मेरी बेटी जन्म से ही नहीं बोलती है तो वह कब बोलेगी तथा उसकी षादी कब होगी। महिला ने उसे रात्रि विश्राम के लिये जगह दी और पूछा कि बेटा तूने भोजन किया या नहीं तो उसने कहा कि सुबह का भोजन तो मैंने रास्ते में पेड के नीचे बैठकर कर लिया था तथा षाम का भोजन नहीं किया, तो महिला ने उसे भोजन कराया। सुबह भी उसने भोजन कराकर भेजा।
चलते चलते फिर रात्रि होने वाली थी कि खेत पर काम करते एक किसान दिखाई दिया। किसान ने पूछा कि आप कौन हो और कहां जा रहे हो तो उसने बताया कि वह अपनी दरिद्रता कब दूर होगी यह पूछने महात्माजी के पास जा रहा हूं। तो किसान ने भी कहा कि एक प्रष्न मेरा भी महात्माजी से पूछकर आना कि मेरे खेत में इतनी मेहनत करने के बावजूद भी फसल पैदा क्यों नहीं होती है, तो उसने कहा कि मैं महात्माजी से पूछकर आते वक्त आपके प्रष्न का हल बताउंगा। किसान लडके को अपने घर पर ले गया तथा रात्रि विश्राम की जगह दी तथा किसन ने पूछा कि बेटा तूने भोजन किया या नहीं तो उसने कहा कि सुबह का भोजन तो कर लिया परन्तु षाम का नहीं किया। फिर किसान ने भी उसे भोजन कराया। सुबह भी भोजन करवाया तथा वह लडका रवाना हुआ।
चलते चलते फिर रात्रि पड गइ। रात्रि में उसे एक झोंपडी दिखाई दी वह झोंपडी एक साधु की थी, लडके ने आवाज देकर साधु से कहा कि मैं महात्माजी के पास मेरी दरिद्रता कब दूर होगी यह पूछने जा रहा हूं तो साधुजी ने कहा कि मेरा भी एक प्रष्न महात्माजी से पूछकर आना कि मेरे को ज्ञान प्राप्त क्यों नहीं होता है। लडके ने कहा कि मैं लौटते वक्त महात्माजी से पूछकर आपके प्रष्न का उत्तर बताउंगा। साधु ने पूछा कि बेटा तूने भोजन किया या नहीं तो उसने कहा कि सुबह का भोजन तो कर लिया है षाम का नहीं। साधु ने उसे बचा हुआ भोजन कराया तथा रात्रि विश्राम की जगह दी।
सुबह वह उठकर महात्माजी के पास पहुंच गया। महात्मा ने उसके मन की बात जानकर कहा कि मैं सिर्फ एक बार में तीन प्रष्न का उत्तर ही देता हूं।
उसने सोचा कि मैं तो जन्मजात दरिद्र हूं और दरिद्र ही रहुंगा। उसने तीनों के प्रष्न महात्माजी को बताये।
पहला प्रष्न महिला का था तो महात्माजी ने कहा कि तेरे जाने के बाद जो व्यक्ति सबसे पहले सामने आयेगा तो वह बोलेगी तथा उसी के साथ उसका विवाह हो जायेगा।
दूसरा प्रष्न किसान का था तो महात्माजी ने कहा कि उसके खेत में जो खजूर का पेड है उसे हटा देगा तो फसल बढिया होगी।
तीसरा प्रष्न साधु का था तो महात्माजी ने कहा कि उसके जटाये में जो हीरा है उसको हटा लेगा तो ज्ञान की प्राप्ति हो जावेगी।
तीनों प्रष्नों का उत्तर जानकर दरिद्र लडका रवाना हुआ तथा साधु के पास आया तथा साधु को कहा कि महात्माजी ने कहा कि आपके जटायु में हीरा है साधु ने अपनी जटायु खोलकर देखा तो वास्तव में उसमें हीरा था, उसके हटते ही उसे ज्ञान की प्राप्ति होने लगी तो साधु ने उस दरिद्र व्यक्ति को हीरा दे दिया। लडके ने बहुत मना किया परन्तु साधु नहीं माना और उसे हीरा लेना ही पडा।
उसके बाद वह किसान के पास गया तथा कहा कि आपके खेत में जो खजूर का पेड है उसे हटा दोगे तो फसल बढिया होगी। किसान तथा उसका लडका खेत पर गये तथा जमीन को खोदकर खजूर के पेड को हटा दिया उसके नीचे एक घडा मिला जिसमें हीरे, पन्ने, जवाहरात आदि भरे हुए थे किसान ने वह घडा दरिद्र लडके को दे दिया। दरिद्र लडके ने लेने से बहुत आनाकानी की परन्तु किसान नहीं माना जो घडा दरिद्र लडके को दे दिया।
उसके बाद दरिद्र लडका महिला के पास गया तथा उससे कहा कि आज वह लडकी जब भी घर आएगी तथा जिस व्यक्ति को पहली बार देखेगी तो वह फर्राटे से बोलने लगेगी तथा उसी व्यक्ति से उसकी षादी हो जाएगी। लडकी अपने मामा के घर गई हुई थी जैसे उसने घर में प्रवेष किया तो उस दरिद्र लडके को देखकर बोलने लगी। महिला ने उसकी षादी उसी दरिद्र लडके से कर दी।
जब वह दरिद्र लडका अपने घर पहुंचा तो उसकी बुढी मां पूरा वृत्तान्त सुनकर चकित हो गई।
कहने का अभिप्राय यह है कि जो व्यक्ति स्वयं के लिये नहीं मांगता है उसे ईष्वर भी छप्पर फाडकर देता है उसकी दरिद्रता दूर हो गई तथा वह दान, पुण्य आदि करने लगा। बुढिया भी जो उम्रभर दरिद्रता काट रही थी वह भी दीन, दुखियों की सेवा कर दान पुण्य करने लगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here