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जैन दिवाकर जयंती उत्सव विदाई समारोह

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जैन दिवाकर जयंती उत्सव विदाई समारोह

जैन दिवाकर जयंती उत्सवः दिवाकर भवन पर चतुर्मास संपूर्ण होने पर आयोजित विदाई समारोह में प्रवर्तक विजय मुनि जी महाराज साहब ने कहा,
आत्म कल्याण करने के साथ प्राणी मात्र का भी करो कल्याण,
नीमच  सभी संत एक जगह नहीं ठहरते वह
हमेशा धर्म संदेश देकर समाज की बुराइयों को मिटाने व समाज कल्याण के लिए
आगे बढ़ जाते हैं समाज को मानवता के रास्ते पर ले जाना है तो चातुर्मास के
दौरान धर्म संदेश को जीवन में उतारें, आत्म कल्याण करने के साथ प्राणी
मात्र तथा मानव का कल्याण करो जग को सुखी रखने की चाह रही तो खुद भी
सुखी हो जाओगे। पुरुषार्थ हम करते हैं उसमें गुरु भगवान तो का
आशीर्वाद साथ हो तो वह कार्य निश्चित पूर्ण और मंगलकारी होता है। जिसके सिर
पर गुरुवर का हाथ होता है उसे डरने की कोई बात नहीं।यह चातुर्मास गुरु
भगवंतो के आशीर्वाद से मंगलमय पूर्ण हुआ जिन शासन की परंपरा को बनाए रखने
के लिए विहार आवश्यक है।
यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने
कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी
वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन पर पांच माह के ऐतिहासिक चातुर्मास संपूर्ण
होने पर चातुर्मास विदाई समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे
थे। उन्होंने कहा कि चातुर्मास जरूर पूर्ण हुआ है लेकिन धर्म आराधना पर
रोक नहीं लगाना है। भाग्यशाली वह होते हैं जिनके दिल में गुरुवर बसते हैं
और सौभाग्यशाली वह होता है जो गुरुवर के दिल में बसता है ।आप सभी
सौभाग्यशाली हैं जिन्होंने भक्ति भाव से गुरु वचनों का श्रवण किया और
चातुर्मास में धर्म ज्ञान की गंगा बहाई ।गुरु यदि कहीं कठोर वचन भी बोल दे
तो वह कभी नाराज नहीं होना चाहिए ।क्योंकि उनका उद्देश्य हमारे जीवन को
सुधारने का होता है। चातुर्मास तक एक स्थान पर ठहरकर धर्म का संदेश देते हैं
लेकिन विहार जगत के प्रत्येक जीव के कल्याण की भावना को लेकर होता है ।स्वयं
का मंगल तो सभी चाहते हैं। पर संत सारे जगत का मंगल चाहते हैं। साधु साध्वी
आते हैं तो संदेश भगवान गुरु भगवन तो का संदेश लेकर आते हैं और जाते
हैं तब आपकी सेवा समर्पण के साथ खोट और बुराई की भेंट लेकर।
विजय मुनि जी महाराज साहब ने कहा कि संसार में किसी को शब्द पसंद आते हैं
और किसी को नहीं , इसमें कोई गलती हो तो क्षमा।परमात्मा सबको शांति और
संतोष संतोष प्रदान करें सुख समृद्धि की अनुभूति का अनुभव कराए और समाधि
में लिन होने का सभी को मार्ग दिखाएं। सभी सामाजिक एकता के लिए संकल्पित रहे।
चंद्रेश मुनि जी महाराज साहब ने कहा कि हम अपने आप में परिवर्तन लाए समाज में
अपने आप क्रांतिकारी परिवर्तन आएंगे ।मन वचन काया से दृढ़संकल्प लेकर समाज कल्याण
के लिए कार्य करेंगे तो सहयोग अपने आप मिलेगा।चातुर्मास के दौरान कभी कोई
कड़वा शब्द कहने में आ गया हो तो सभी से मन की गहराइयों से क्षमा की
मांगते है।
साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा किघ् चातुर्मास में यह शिक्षा
लेनी चाहिए कि सभी निरंतर भक्ति तपस्या करते रहे और सबका भला करते रहे और सभी

से प्रेम सद्भाव के साथ रहे सभी प्रसन्न रहें।यदि हम अपने धार्मिक सामाजिक
पारिवारिक कर्तव्य को पूरा करते रहेंगे तो हमारे जीवन में कोई कष्ट नहीं आएगा।
इस अवसर पर डॉक्टर बी एल बोरीवाल, शांतिलाल नागौरी, मंजू काठेड़ पुष्पा
चैधरी आशा सांभर श्रीमती रानी राणा ने काव्य रचना गीत एवं अपने विचार व्यक्त
किए। इसअवसर पर नवकार मंत्र का जाप किया गया।कार्यक्रम में समाज सेवा के क्षेत्र में
भगवान महावीर स्वास्थ्य केंद्र जैन दिवाकर संत सेवा तीर्थ दलोदा द्वारा विभिन्न
अनुकरणीय योगदान के लिए जैन दिवाकर प्रताप रत्न अवार्ड से भी अनेक समाज जनों
को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर महिला मंडल द्वारा आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक एवं सामाजिक
प्रतियोगिताओं के विजेताओं उपविजेता बच्चों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया।
नाटिका से दिया गुरु सेवा और जीव दया का संदेश,
जैन दिवाकर महिला मंडल नीमच छावनी की अध्यक्ष श्रीमती रानी राणा,सचिव सीमा
चोपड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेखा चंडालिया ने बताया कि प्रवर्तक विजय मुनि जी आज ठाना
एवं साध्वी विजया सुमन श्री जी महाराज साहब के मार्गदर्शन में जैन दिवाकर जगत वल्लभ
चैथमल जी महाराज साहब के जीवन चरित्र पर आधारित एक नाटिका प्रस्तुत की गई।
जिसमेंआशा सांभर ,माया वीरवाल ,मंजू काठेड़ संतरा वीरवाल, प्रियंका पीतलिया
,प्रियंका मोगरा, पुष्पा चैधरी आदि महिलाओं ने नाटक में गुरुदेव बड़े
उपकारी में बारंबार जाऊं बलिहारी गीत प्रस्तुत किया।नाटिका में विवाह से लेकर गुरु
और संत दीक्षा तक राजा महाराजा का जीवन चरित्र से जीव दया का संदेश दिया गया जिसे
सभी ने आत्मसात किया और जीवन पर्यंत जीव दया का संकल्प भी लिया।इस अवसर पर
विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की।
धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा.,
अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि
ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों
ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण
किया। धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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