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चुप्पियों के बीच कविता के स्वर मुखर

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चुप्पियों के बीच कविता के स्वर मुखर

चुप्पियों के बीच कविता के स्वर मुखर
जनवादी लेखक संघ की काव्यगोष्ठी सम्पन्न
नीमच। काव्य ही जीवन के सौन्दर्य का सार है। सृजन की आत्मा है जीवन की सच्चाईयों का प्रकाष है और इसी प्रकाष को सब तरफ फैलाने का जनवादी लेखक संघ नीमच के बैनर तले एक छोटा सा प्रयास किया गया। जिसमें हमारे बीच भोपाल, इन्दौर, रतलाम और नीमच के वरिष्ठ कवियों और साहित्यकारों ने षिरकत कर कार्यक्रम को सफल और सार्थक बनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रतलाम के वरिष्ठ कवि, आलोकचक तथा अनुवादक प्रो.रतन चौहान ने की। कार्यक्रम का संचालन नीमच के युवा षायर आलम तौकीर नियाजी आलम ने किया। आयोजन में भोपाल से बसंत सकरगाए, इन्दौर से रजनी रमण षर्मा एवं प्रदीप मिश्र, प्रदीपकान्त, देवेन्द्र रिणवा, रतलाम से रणजीतसिंह, आषीष दषोत्तर, युसूफ जावेदी, कीर्ति षर्मा ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को विभोर कर दिया। वहीं नीमच से प्रो.निरंजन गुप्त राही, धर्मेन्द्र षर्मा, मो.हुसैन षाह, राधेष्याम षर्मा, मनासा से महेष नंदवाना, मदन राठौर ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम में किषोर जेवरिया, कामरेड षैलेन्द्रसिंह ठाकुर, प्रमोद रामावत, कन्हैयालाल मोगिया, प्रकाष भट्ट, ओमप्रकाष चौधरी, भानु दवे, विजय बैरागी, मुकेष नागदा, सुनील षर्मा, गुणवंत गोयल, के.के.जैन, जगमोहन कटारिया, बाबूलाल गौड, राजमल व्यास, कैलाष बाहेती, बसंतीलाल बडोला, आर.एल.जैन, नरेन्द्र व्यास आदि विभिन्न गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
अंत में जनवादी लेखक संघ नीमच की अध्यक्ष प्रियंका कविष्वर ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों और सम्माननीय सदस्यों का आभार व्यक्त किया।

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