Home Pradesh Uttar Pradesh उ.प्र. लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान और सोन चिरैया समिति में हुआ एमओयू

उ.प्र. लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान और सोन चिरैया समिति में हुआ एमओयू

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उ.प्र. लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान और सोन चिरैया समिति में हुआ एमओयू
– सम्मान समारोह के साथ सम्पन्न हुआ सात दिवसीय “जनजाति भागीदारी उत्सव”
– जनजाति लोकनायक बिरसा मुंडा की 148वीं जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में 15 से 21 नवम्बर तक किया गया वृहद आयोजन
लखनऊ,  लोकनायक बिरसा मुंडा की 148वीं जयंती जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित ‘जनजाति भागीदारी उत्सव’ के सातवें और अंतिम दिन, मंगलवार 21 नवम्बर को उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान और सोन चिरैया लोक संगीत उत्थान समिति के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश की प्रबुद्ध लोक, जनजातीय कलाओं और परंपराओं को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही अनुसंधान और शैक्षणिक कार्यक्रमों में आपसी सहयोग और भागीदारी भी की जाएगी। इस अवसर प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम समाज कल्याण के प्रमुख सचिव डॉ.हरिओम, पद्मश्री मालिनी अवस्थी, लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित रहे।
जनजाति लोक नायक बिरसा मुंडा की 148वीं जयंती के अवसर पर आयोजित “जनजाति भागीदारी उत्सव” में मंगलवार 21 नवम्बर को सातवें दिन, सांस्कृतिक आयोजनों के साथ प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया गया। आगंतुकों ने अंतिम दिन होने के चलते जी भरकर खरीदारी भी की। इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न प्रदेशों के स्वादिष्ट खानपान का आनंद लिया और वाद्यों की प्रदर्शनी भी देखी।
उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान लखनऊ, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश, जनजाति विकास विभाग, उत्तर प्रदेश, पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उत्तर प्रदेश लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 21 नवम्बर तक गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी परिसर में आयोजित इस उत्सव की सातवीं सांस्कृतिक संध्या का संचालन अलका निवेदन ने किया। उसमें देश की सतरंगी जनजातीय नृत्य, गायन और वादन की मनोरम झलक देखने को मिली। उसमें आगंतुकों ने उत्तराखंड का ताँदी नृत्य, हारूल नृत्य, झारखण्ड का पाइका नृत्य, छत्तीसगढ़ी कर्मा नृत्य, गैड़ी नृत्य, मध्य प्रदेश का गुदुम बाजा नृत्य, उत्तर प्रदेश का हुरदुगुवा नृत्य, गरदबाजा नृत्य, राजस्थान का सहरिया स्वांग नृत्य, सिक्किम का याकछम, राजस्थान का चरी नृत्य का भरपूर आनंद लिया। इस अवसर पर जनजाति विकास विभाग की उप निदेशक प्रियंका वर्मा, टीआरआई के नोडल अधिकारी देवेन्द्र सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।
शिल्प मेला में उत्तर प्रदेश का मूँज शिल्प, जलकुंभी से बने शिल्प उत्पाद, कशीदाकारी, बनारसी साड़ी, कोटा साडी, सहरिया जनजाति उत्पाद, गौरा पत्थर शिल्प, लकड़ी के खिलौने खासतौर से पसंद आ रहे हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश की महेश्वरी साड़ी, चंदेरी साड़ी, बांस शिल्प, जनजातीय बीड ज्वेलरी, पश्चिम बंगाल की कांथा साड़ी, ड्राई फ्लावर, धान ज्वेलरी, झारखण्ड की सिल्क साड़ी, हैंडलूम टेक्सटाइल्स, तेलंगाना की पोचमपल्ली, साड़ी और चादर, महाराष्ट्र की कोसा सिल्क साड़ी, राजस्थान का सांगानेरी ऍण्ड ब्लाक प्रिंट, छत्तीसगढ़ का लौह शिल्प, ढोकरा एवं बाँस शिल्प, असम का हैंडलूम गारमेंट और सिक्किम का हैंडलूम टेक्सटाइल्स भी आगंतुकों को लुभाया। व्यंजन मेला में उत्तर प्रदेश का भुना आलू चटनी, कुमाऊंनी खाना, मक्खन मलाई, रबड़ी दूध, चाट का स्वाद चखने का अवसर मिल रहा वहीं राजस्थान के व्यंजन, मुंगौड़ी, जलेबी, तंदूरी चाय, जनजातीय व्यंजन, महाराष्ट्र के व्यंजन, मटका रोटी, बिहार के व्यंजन, खाजा, मनेर के लड्डू भी इस आयोजन का स्वाद बढ़ा रहे हैं। जनजातीय वाद्यों की प्रदर्शनी, मोर, जनजातीय झोपड़ी और पूजा स्थल का सेल्फी प्वाइंट भी सबको आकर्षित कर रहा है। मटकी और राजस्थानी कठपुतली की सजावट भी लोगों को पसंद आयी। डॉ.ओम प्रकाश भारती के संयोजन में आदिराग में शामिल वाद्य यंत्रों के साथ विभिन्न जनजातियों द्वारा प्रस्तुत वाद्य यंत्रों का मनोहारी प्रस्तुतीकरण किया गया जो दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहा।

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