Home India आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी महाराज ने चातुर्मास परिवर्तन

आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी महाराज ने चातुर्मास परिवर्तन

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आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी महाराज ने चातुर्मास परिवर्तन

चातुर्मास परिवर्तन विदाई समारोह
आस्था की दृष्टि से चातुर्मास का अल्पविराम होगा पूर्ण नहीं,
नीमच   विश्वास कम या ज्यादा हो सकता है
लेकिन आस्था हमेशा अटूट रहती है ।आस्था की दृष्टि से चातुर्मास का अल्पविराम
होगा। पूर्ण नहीं। उपकारी के उपकार को नहीं मानने वाला कृतध्न कहलाता है।
क्रोध में रिश्ते बिगड़ते हैं यह अनुभव है।संसार के अनुभव को देखकर हमें
संयम के मार्ग पर चलना चाहिए।।यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पाश्र्वनाथ
मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री
जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे
चातुर्मास विदाई के उपलक्ष्य में करना बालाजी के सामने अल्फा स्कूल के समीप स्थित
अभय, अजीत कुमार गांधी परिवार भवनघ् के पास प्रांगण में आयोजित धर्मसभा में

बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रभु धर्म आराधना के माध्यम से हमें जागने
का प्रयास करते हैं समझिए ऐसी चीज है जो हमें जगाती है हमें उठाना है या जागना
है यह हम पर निर्भर होता है धर्म के पथ पर चलने वाले धर्मियों को कभी
सुलाना नहीं चाहिए और पापियों को कभी जगाना नहीं चाहिए। क्योंकि जब तक पापी
सोए रहेंगे तब तक शांति बनी रहेगी। सामने वाला इंसान कितना भी पूज्यनीय हो
हमारे मन में उसके प्रति प्रेम होना चाहिए यदि किसी ने गलती की और हम उसे क्षमा
करने के लिए तैयार है तो बस यही प्रेम है और माफ करने वाला हमेशा बड़ा होता
है।संत सभी एक जगह नहीं ठहरते हुए हमेशा धर्म संदेश लेकर आगे बढ़ जाते हैं
समाज को मानवता के रास्ते पर ले जाते हैं चातुर्मास के दौरान मिले धर्म उपदेश
को जीवन में आत्मसात करना चाहिए तभी आत्म कल्याण हो सकता है प्राणी मात्र का
कल्याण करना चाहिए। चातुर्मास जीव दया का संदेश देता है। साधु संत संसार में
शांति और सुधार के लिए निरंतर भक्ति तपस्या और साधना करते रहते हैं।साधु के
सहयोग से ही संसारी व्यक्ति को शांति मिलती है। भारतीय संस्कृति में साधु संतों
से जुड़ने का सभी धर्म अपने-अपने अनुभव से मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी , अखेसिंह कोठारी ,मनोहर सिंह लोढ़ा, सोनल
नागोरी अंकिता गांधी प्रिया गांधी , अतुल गांधी, विमल गांधी ,अभय कुमार
गांधी ,अजीत कुमार गांधी, मनोज नागोरी ने भी विचार व्यक्त किए।
धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री
चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी
चातुर्मासिक सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास,
एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में
जावद ,जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया,जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी
बने।धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।

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