Uttar Pradesh

UP Politics: राजभर और शिवपाल के लिए अखिलेश ने PS से क्यों जारी करवाई चिट्ठी? समझिए इसके मायने – samajwadi party open letter to shivpal yadav and op rajbhar

लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने विधायक शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) को शनिवार को ‘आजाद’ कर दिया। पार्टी ने एक पत्र के जरिए दोनों नेताओं से साफ कह दिया है कि अगर आपको लगता है, कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस घटनाक्रम से ज्यादा चर्चा पत्र जारी के तरीके को लेकर है। यह पत्र पार्टी के किसी ओहदेदार के लेटरहेड के बजाय पार्टी के लेटरहेड पर है और पत्र पर जो हस्ताक्षर हैं, वह किसके हैं, इसका भी कोई जिक्र नहीं है। हालांकि पार्टी सूत्र, उसे अखिलेश यादव के निजी सचिव गंगाराम के दस्तख्वत बता रहे हैं।

अमूमन पार्टी से जुड़े मसलों पर कोई भी पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय महासचिव प्रो.रामगोपाल यादव या प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की ओर से जारी होते रहे हैं। ऐसे पत्रों पर बकायदा इन नेताओं के हस्ताक्षर होते हैं।

‘चौबीस में सब साफ हो जाएगा, अखिलश यादव के तलाक का स्वागत है। इन्होंने हमारी कोई बात नहीं मानी और हार गए। हम किसी के भी गुलाम नहीं हैं।’

ओम प्रकाश राजभर, सुभासपा प्रमुख

हैसियत का अहसास करवाया
राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि निजी सचिव के हस्ताक्षर से पत्र जारी करने के पीछे शिवपाल यादव और ओम प्रकाश राजभर को उनकी राजनीतिक हैसियत का अहसास करवाना है। दोनों नेताओं को यह बताने की कोशिश हुई है कि पार्टी में उनका स्तर गंगाराम के हस्ताक्षर तक ही सीमित है। दोनों को पार्टी से निलंबित करने, निष्कासित करने, ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन तोड़ने की घोषणा करने के बजाय उन्हें ‘स्वतंत्र’ घोषित करके सपा मुखिया ने गेंद शिवपाल और राजभर के पाले में डाल दी है।

‘मैं वैसे तो सदैव से ही स्वतंत्र था, लेकिन सपा द्वारा पत्र जारी कर मुझे औपचारिक स्वतंत्रता देने का सहृदय धन्यवाद। राजनीतिक यात्रा में सिद्धान्तों एवं सम्मान से समझौता अस्वीकार्य है।’

शिवपाल यादव, विधायक, समाजवादी पार्टी

सपा मुखिया ने यह भी बताने की कोशिश की है कि ये दोनों साथ रहकर सपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहे हैं, फिर भी वह कोई ‘तल्ख’ फैसला नहीं ले रहे, लेकिन उन्हें अब उनकी कोई जरूरत भी नहीं रह गई है। अखिलेश अगर शिवपाल का निष्कासन करते या राजभर से गठबंधन तोड़ते तो दोनों नेताओं को ‘विक्टिम कार्ड’ खेलने का मौका मिल जाता। विधानसभा चुनाव के बाद से ही अखिलेश के अपने चाचा शिवपाल और सुभासपा प्रमुख राजभर से रिश्ते लगातार कड़वे होते जा रहे थे।


Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button