दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव और हाल ही में 2 लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में सपा गठबधंन को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर लगातार अखिलेश यादव को एसी से बाहर निकलने की नसीहत दे रहे थे, जो कही न कही समाजवादी पार्टी के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर रहा था। वहीं शिवपाल यादव की बगावत ने भी अखिलेश को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रखा था।
राष्ट्रपति चुनाव में सपा से की बगावत इसी बीच राष्ट्रपति चुनाव के बाद सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर को Y श्रेणी सुरक्षा मिल गई। इसको लेकर ओपी राजभर की ओर से सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सुरक्षा मिलने की बात कही जा रही थी। लेकिन सपा ने इस पर पलटवार कर के मामले को तूल दे दिया। वहीं शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए बागी हुए ओपी राजभर ने एक सवाल (तलाक यानी गठबधंन टूटने के पेपर तैयार करने) के जवाब में कहा कि हम कबूल के लिए तैयार है, बस वो (अखिलेश यादव) दस्तखत कर दें। राष्ट्रपति चुनाव में राजभर और शिवपाल यादव ने एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को समर्थन और वोट दिया था।
सपा ने कहा, ओपी राजभर आप स्वतंत्र है शनिवार को समाजवादी पार्टी की ओर से सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर के नाम एक पत्र जारी हुआ। इसमें उनको नसीहत देते हुए कहा गया कि ‘ओम प्रकाश राजभर जी, समाजवादी पार्टी लगातार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ रही है। आपका बीजेपी के साथ गठजोड़ है और लगातार बीजेपी को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। अगर आपको लगता है कि कही ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।’ इसी तरह का एक पत्र सपा विधायक और प्रसपा मुखिया शिवपाल यादव के नाम भी लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि, ‘अगर आपको लगता है कही ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।’
ओपी राजभर ने सियासी तलाक किया कबूल
वहीं सपा की ओर से पत्र जारी ही हुआ था कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने पलटवार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनका (अखिलेश यादव) तलाक आ गया है, हमने उनके तलाक को कबूल कर लिया है। इसके साथ ही ओपी राजभर ने बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कामों की तारीफ कर गठबधंन के नए संकेत भी दे दिए। यही नहीं सुभापसा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव अरविंद राजभर ने सपा के पत्र के जवाब में सपा मुखिया अखिलेश यादव को एक पत्र लिखा है।
शिवपाल यादव ने सपा पर किया पलटवार ओपी राजभर ने मीडिया से बातचीत करते हुए अपना जवाब दिया ही था कि दूसरी तफ प्रसपा मुखिया शिवपाल यादव ने ट्वीट कर अपनी बात कह डाली। प्रसपा मुखिया शिवपाल यादव ने सपा के उस पत्र पर पलटवार करते हुए ट्वीट के माध्यम से अपना जवाब दिया है। शिवापल ने अपने ट्वीट में लिखा कि मैं वैसे तो सदैव से ही स्वतंत्र था, लेकिन समाजवादी पार्टी ने पत्र जारी कर मुझे औपचारिक स्वतंत्रता दे दी है, सहृदय धन्यवाद। शिवपाल ने कहा राजनीतिक यात्रा में सिद्धांतों और सम्मान से समझौता अस्वीकार्य है।
बीजेपी प्रवक्ता ने बताया सपा का मूल चरित्र बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सपा के ओपी राजभर और शिवपाल यादव को लिखे गए पत्रों को लेकर अखिलेश यादव पर हमले की बौछार कर दी। राकेश त्रिपाठी ने कहा पहले केशव देव मौर्या और अब शिवपाल यादव, ओम प्रकाश राजभर। ये समाजवादी पार्टी का मूल चरित्र है। सपा कभी भी भरोसेमंद पार्टी नहीं रही है। क्योंकि जिनसे अपने पिता को गच्चा दे दिया हो वो अपने गठबधंन के साथियों के साथ कैसे रह सकता है। उन्होंने आगे कहा जब-जब समाजवादी पार्टी ने किसी के साथ हाथ मिलाया है, तब ऐसे ही हाथ झटक दिया है। पहले कांग्रेस से हाथ मिलाया, कांग्रेस से गठबधंन तोड़ दिया। फिर सपा ने हाथी की सवारी की। लेकिन चुनाव बाद हाथी को भी साथी बनाने से छोड़ दिया।
बागी नेताओं से सपा ने किया किनारा
यूपी 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से खदेड़ने के लिए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गठबधंन किया था। इस गठबधंन में रालोद, प्रसपा, महान दल, अपना दल कमेरावादी समेत कई छोटे दल साथ आए थे। लेकिन चुनाव के नतीजे आने के बाद देखते ही देखते सपा की सहयोगी दल अखिलेश से दूरियां बढ़ाने लगे। सपा की बैठकों में न बुलाए जाने से शिवपाल यादव ने नाराजगी भी जाहिर की थी।
ओपी राजभर लगातार अखिलेश को दे रहे थे नसीहत उधर एमएलसी चुनाव में हिस्सेदारी न मिलने और राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा को लेकर हुई सपा दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस न बुलाये जाने से ओपी राजभर बागी हो गए। साथ ही लगातार अखिलेश यादव को एसी से बाहर निकलने की नसीहत दे रहे थे। वहीं, शिवपाल और राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को वोट देने की बात कह कर सपा को झटका दे दिया। वहीं अब समाजवादी पार्टी ने भी दोनों नेताओं से किनारा करने का फैसला ले लिया है। शनिवार को समाजवादी पार्टी की ओर से जारी हुए आधिकारिक पत्र में दोनों नेताओं को पार्टी से दूर होने के लिए स्वतंत्रता देने की बात कही गई है।
रिपोर्ट- अभय सिंह