Uttar Pradesh

sant ravidas: Varanasi News: रविदास की गलत जन्मस्थली बताए जाने पर बढ़ा विवाद, DM से की गई शिकायत – controversy escalated over being told the wrong place of birth of ravidas in varanasi

अभिषेक कुमार झा, वाराणसी
संत रविदास की जन्म स्थली का विवाद एक बार फिर से चर्चा में है। ताजा मामला संत शिरोमणि रविदास जन्मस्थली शब्द के इस्तेमाल को लेकर है। सीर गोवर्धनपुर स्थित रविदास मंदिर का संचालन करने वाले ट्रस्ट के ट्रस्टी कृष्ण लाल सरोआ ने जिलाधिकारी से इस बात की शिकायत की है।

लंका थाने के सीर गोवर्धनपुर में संत शिरोमणि रविदास जी की जन्मस्थली है, लेकिन एक दिशा सूचक बोर्ड मडुआडीह थाने के लहरतारा चौराहे के पास लगा है। जिसमें रविदास के जन्मस्थान को लहरतारा तालाब की तरफ होना दर्शाया गया है। इस बोर्ड की तस्वीर ट्रस्टी कृष्ण लाल सरोआ को मिली। जिसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की है।

क्या है रविदास जन्मस्थली मंदिर शब्द का विवाद
संत रविदास की जन्मस्थली लंका थाने के सीर गोवर्धनपुर में स्थित है। ये एक स्थापित तथ्य है। संत रविदास के अनुयायियों की संख्या जब अन्य प्रांतों में भी बढ़ी तो लोगों ने संत श्री रविदास जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम से एक संस्था बनाई और जन्मस्थली का विकास भव्य रूप से कराया। वही संस्था इस मंदिर का पूरा प्रबंधन और संचालन करती है। रविदास जयंती पर देश-विदेश से लाखों की संख्या में रविदासिया मत के लोग यहां अपनी आस्था दर्ज कराने आते हैं।

श्रद्धालुओ की बढ़ती भीड़ को देखते हुए स्थानीय रविदासिया और ट्रस्ट के बीच रविदास मंदिर जन्मस्थान को लेकर विवाद कोर्ट में है। वाराणसी में संत रविदास का एक मंदिर राजघाट पर भी है और रविदास जयंती पर आने वाले श्रद्धालुओं को बरगलाकर राजघाट वाले मंदिर पर ले जाते हैं। साथ ही रविदास जयंती पर पहली झांकी निकालने को लेकर भी विवाद होता रहा है। इसी विवाद के निपटारे के लिए इस वर्ष रविदास जयंती पर हुई बैठक में मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने स्पष्ट तौर पर ये निर्देश दिए थे कि संत रविदास जन्मस्थली शब्द का इस्तेमाल सिर्फ ट्रस्ट ही करेगा ।

क्या है नया मामला
जिला प्रशासन के निर्देश के उलट मडुआडीह थाने के लहरतारा चौराहे से पहले एक बोर्ड लगा है। जिस पर संत रविदास के जन्मस्थान के होने का दावा किया जा रहा है। साथ ही उस बोर्ड पर पता मंडूर नगर का लिखा है। हरे रंग के बोर्ड पर लिखा हुआ पता और ढांचा हूबहू पीडब्लूडी और वीडीए के मानकों के आधार पर है, लेकिन बोर्ड पर कहीं भी किसी विभाग का नाम नहीं लिखा है, बल्कि लहरतारा स्थित एक मठ के प्रबंधक के नाम का उल्लेख है, जबकि स्थापित तथ्यों के आधार पर संत रविदास की जन्मस्थली लंका थाने के सीर गोवर्धनपुर में है और यूपी सरकार ने भी सीर गोवर्धनपुर स्थित जनस्मस्थली मंदिर के विकास की पूरी कार्य योजना बनाई है। जिस पर काम भी चल रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी समेत अरविंद केजरीवाल, मायावती, अखिलेश यादव रविदास जयंती पर सीर गोवर्धनपुर स्थित मंदिर आते रहे हैं।

ट्रस्टी ने लिया संज्ञान
इस बोर्ड की तस्वीर किसी श्रद्धालु ने ट्रस्टी कृष्ण लाल सरोआ से की तो ट्रस्टी कृष्ण लाल सरोआ ने इस बात की शिकायत जिलाधिकारी समेत एसीपी भेलूपुर से करने की बात कही। एनबीटी ऑनलाइन ने भी बोर्ड लगे जगह पर जाकर इस बात की तस्दीक की तो बोर्ड को भ्रामक पाया, क्योंकि बोर्ड पर अंकित जगह और दिशा निर्देश दोनों ही गलत दिशा और स्थान बता रहे हैं।

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बोर्ड लगवाने वाले का दावा, ली है पीडब्लूडी से इज़ाज़त
बोर्ड पर जो नंबर दिया गया है, उस पर जब एनबीटी ऑनलाइन ने बात की तो प्रबंधक प्रभु प्रसाद ने दावा किया कि उनके द्वारा बोर्ड पर लिखी गई जगह पर ही संत रविदास जन्मस्थली है और उनके पास इस बात के प्रामाणिक तथ्य हैं।

इस बोर्ड को लगाने की इजाज़त उन्होंने पीडब्लूडी के अधिकारी सुग्रीव राम से ली है, लेकिन जब एनबीटी ने इस बाबत लिखित लेटर की मांग की तो कुछ देर बाद बोर्ड लगाने का अधिकार पत्र देने की बात की गई। जब प्रभु प्रसाद से इस बात की जानकारी ली गई कि बिना किसी प्रामाणिक संस्था का ज़िक्र किए बिना पूरे मानक के साथ भ्रामक बोर्ड कैसे लगाया तो इस बात पर कोई जवाब नहीं दे सके।

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वहीं, जब प्रभु प्रसाद से इसी वर्ष मंडलायुक्त के रविदास जन्मस्थान मंदिर शब्द के इस्तेमाल पर सवाल पूछा गया तो प्रबंधक महोदय इस मीटिंग और मंडलायुक्त के निर्देशों की कोई जानकारी न होने की बात कही।


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