rakesh tikait statement on lakhimpur kheri violence latest news and updates of lakhimpur in hindi: राकेश टिकैत का लखीमपुर में हुई हिंसा पर विवादित बयान लेटेस्ट न्यूज इन हिंदी

माना कि टिकैत का काम नहीं है उन परिवारों के लिए इंसाफ मांगना…एफआईआर दूसरे पक्ष की तरफ से भी अज्ञात प्रदर्शनकारियों पर कराई गई है और कानून अपना काम करेगा। मगर टिकैत को यह बयान देने में शर्म क्यों नहीं आई कि वह लखीमपुर-खीरी में बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या करने वालों को अपराधी ही नहीं मानते…? एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा, ‘लखीमपुर खीरी में चार किसानों पर कार चढ़ाए जाने के बाद तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या क्रिया की प्रतिक्रिया है। मैं इन हत्याओं में शामिल लोगों को अपराधी नहीं मानता। वो हत्या में नहीं आता, वो तो रिऐक्शन है…हम उन्हें दोषी नहीं मानते।’
योगेंद्र यादव बोले- कानून के सामने हर हत्या अलग-अलग
इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता योगेंद्र यादव टिकैत की बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि भारत का कानून अलग-अलग तरह की हत्याओं को अलग-अलग नजरिए से देखता है। कौन सी हत्या है जिसमें उकसावा दिया गया, कौन सी हत्या प्लान्ड है और कौन सी है जो जानबूझकर नहीं की गई है…हमारा कानून इन तमाम अंतरों को देखता है। मगर हम जिंदगी जाने से दुखी हैं, चाहे वो बीजेपी कार्यकर्ता हों या किसान। यह दुर्भाग्यपूर्ण था। हमें उम्मीद है कि न्याय होगा।
राकेश टिकैत बताएं, लोग अपराध का शिकार होने पर खुद अपराधी बन जाएं क्या?
पहले बात करें राकेश टिकैत की…आखिर वो ऐसा बयान और ऐसी सोच को बढ़ावा देकर कौन सा समाज तैयार करना चाहते हैं? क्या लोग अदालत और पुलिस के पास जाना छोड़कर इसी तरह क्रिया की प्रतिक्रिया देना शुरू कर दें? राकेश टिकैत सरेआम 3 बीजेपी कार्यकर्ताओं की लिंचिंग करने वालों को अगर अपराधी नहीं मानते, तो उनका घर उजाड़ने का जिम्मेदार आखिर है कौन? कानून के मुताबिक, किसे इस दोष की सजा मिलनी चाहिए?
कोई दोषी नहीं, तो शुभम मिश्रा का घर उजाड़ने का जिम्मेदार कौन?
जो 3 बीजेपी कार्यकर्ता मारे गए, उनमें से एक शुभम मिश्रा की लाश का मैंने चेहरा देखा है। उसके चेहरे पर लाठियों और तलवारों से इतने वार किए गए थे पूरा सिर 2-3 गुना फूल गया था। शुभम की करीब 2 साल पहले शादी हुई थी और अभी एक साल की बच्ची है। 25 साल के शुभम ने जिंदगी को जीना बस शुरू ही किया था। घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका है, 24 वर्षीय उसकी पत्नी वैवाहिक जीवन के रंग देखने से पहले ही विधवा हो चुकी है…आखिर उस रोते-बिलखते परिवार, उस विधवा और उस बच्ची को जिंदगीभर का गम देने वाले हत्यारों को सजा क्यों न मिले?
मारे गए किसानों और शुभम के पिता के आंसुओं का रंग एक है!
आखिर कैसे टिकैत ने उन 4 किसान परिवारों के आंसू और शुभम के परिवार के आंसुओं में अंतर कर लिया और उनका बंटवारा कर दिया? मारे गए किसान लवप्रीत के पिता और शुभम के पिता की आंखों से निकलने वाले आंसुओं का रंग एक ही है, राजनीति के लिए टिकैत जैसे नेता उनके बच्चों की लाशों पर राजनीति करेंगे?
योगेंद्र यादव को सलाह, पहले आईपीसी पढ़ तो लें
अब आते हैं योगेंद्र यादव के बयान पर कि कानून अलग-अलग तरह की हत्याओं को अलग नजरिए से देखता है। यह सही है, कानून गलती से हुई, उकसावे से हुई, पूरे होशो-हवास में की गई हत्या को अलग-अलग नजरिए से देखता है। मगर उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि आईपीसी में सजा हर एक हत्या के लिए है…योगेंद्र यादव को सलाह है कि वह आईपीसी के सेक्शन 300 में मर्डर की परिभाषा और अपवाद देखें…देखें कि कल्पेबल होमिसाइड यानी सदोष मानववध क्या होता है और सेक्शन 304 में उसके लिए कितनी सख्त सजा का प्रावधान है।
दोनों तरफ के हत्यारों तक पुलिस पहुंचेगी, किसका बचाव कर रहे टिकैत?
जो 4 किसान और एक पत्रकार की मौत हुई, वह दुखद है। उनकी हत्या में शामिल शख्स चाहे भले ही केंद्रीय मंत्री का बेटा हो, अगर वो दोषी है तो उसे भी वही सजा मिलनी चाहिए जो हत्या करने वाले एक आम अपराधी को मिलती है। उन 3 बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या का जो जिम्मेदार है, उस तक भी पुलिस पहुंचेगी…मगर एक नेता के तौर पर उन बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या के दोषियों को दोषी ही न मानकर टिकैत सिर्फ खुद का ही सम्मान कम कर रहे हैं।
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