अन्नदाताओं को ऊपर एक के बाद एक आफत आती जा रही है। पहले कोविड के कारण फसल बाहर नहीं जा पाने से खराब हो रही थी तो वहीं फसलों की बुवाई की लागत में हुई बढ़ोतरी ने किसानों की और कमर तोड़ दी। अब किसानों पर कुदरत ने अपना कहर बरपाया है। रविवार को तेज धूप के बीच दोपहर से तेज हवाओं के साथ शुरू हुई भारी बारिश ने एक बार फिर किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। बारिश से तैयार हो चुकी धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
जिले में हुई भारी बारिश
मौसम विभाग ने पहले ही किसानों को चेताया था कि जिले में रविवार से तीन दिनों तक तेज़ हवाओं के साथ भारी बारिश हो सकती है। कुछ किसानों ने अपनी धान की फसल को खेतों से हटा लिया था, लेकिन अधिकांश किसानों की फसलें अभी भी खेतों में ही खड़ी हैं। दो दिनों से हो रही भारी बारिश और तेज़ हवाओं के कारण अब किसानों के चेहरों पर मायूसी है। उन्हें भारी नुकसान की आशंका सता रही है।
नुकसान पर बात करते हुए जिले के किसानों ने कहा कि हमारा भारी बारिश के कारण धान की फसल पर ज़्यादा प्रभाव पड़ा है। खेत में कट चुकी या अभी भी खड़ी धान की फसलें अब बर्बाद हो चुकी हैं। 25 से 30 फीसद फसलें अब खेत में ही सड़ जाएंगी।
नहीं मिलता समय पर मुआवजा
किसान बताते हैं कि सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के जरिए फसलों को बीमित तो करती है, लेकिन उसकी धनराशि या मुआवजा हमें समय पर नहीं मिल पाता, जो मुआवजा मिलता भी है, वह बिल्कुल ना के बराबर होता है।
तिलहनी फसलों की बुवाई भी पिछड़ेगी
तिलहनी फसलों की बुवाई के बारे में बात करते हुए जिले के किसान बताते हैं कि अब ना ही सरसो, अरहर और मसूर जैसी फसलों की बुवाई भी पिछड़ जाएगी। भारी बारिश के कारण खेतों में अब पानी भर गया है, जिसे सूखने में 15 से 20 दिन का समय लगेगा। जिन खेतों में ज्यादा पानी भर गया है, वहां पर तो और अधिक समय लग सकता है। इस बेमौसम बारिश में हमारी कमर तोड़ कर रख दी है।
क्या बोले कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी आरपी राणा ने बताया कि जिन किसानों का भारी बारिश के नुकसान हुआ है। उनके लिए मुआवजे की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा करवाई जाएगी। वहीं, जिन किसानों ने पीएम फसल बीमा योजना का प्लान ले रखा है। वह जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। जांच करवाने के उन्हें लाभ दिलवाया जाएगा।
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