ग्लास का फर्श और दोनों तरफ रेलिंग
ब्रिज सौंदर्यीकरण की योजना पूरी हुई तो प्रयागराजवासियों को सुबह की सैर शाम की मस्ती के लिए एक नया ठिकाना भी मिलेगा। यहां पुल के उपरी तल सड़क पर भारतीय व्यंजनों, शिल्प आदि की सचल वाहनों के माध्यम से बिक्री की योजना भी है। इससे पर्यटक 100 साल से अधिक पुराने इस पुल एवं मां गंगा के बारे में महत्व की जानकारी तो पाएंगे ही, स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। मुख्यमंत्री ने रेलवे ब्रिज पर ग्लास का फर्श एवं उसके दोनों ओर रेलिंग बनाने के निर्देश दिए हैं। सेतु एवं सड़क के मध्य स्थान को आकर्षक बनाया जाएगा।
दिखेगा समुद्र मंथन का दृश्य
प्रयागराज आदिकाल से कुम्भ के लिए विश्वविख्यात रहा है, सो पुल पर समुद्र मंथन की घटना को प्रमुखता से दर्शाया जाएगा। सिंचाई विभाग द्वारा गंगा जी के प्रवाह को चैनलाईज किया जाएगा तथा कर्जन ब्रिज से संगम तक फेरी की सुविधा भी होगी।कर्जन ब्रिज को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए प्रयागराज प्रशासन एवं रेलवे आपस में समन्वय कर परियोजना को अमली जामा पहनाएंगे। इस दिशा में जल्द ही काम शुरू होने जा रहा है।
1902 में बना था पुल
बता दें कि प्रयागराज स्थित गंगा नदी पर फाफामऊ एवं प्रयागराज को जोड़ने वाले कर्जन ब्रिज को 1899 से 1905 तक भारत में वायसराय रहे लॉर्ड कर्जन के नाम पर वर्ष 1901 में स्वीकृति मिली तथा जनवरी, 1902 में इसका निर्माण शुरू हुआ। इस क्षेत्र में 61 मीटर लंबे गर्डर और 15 पिलर का प्रयोग किया गया है।पुल के नीचे की ओर सिंगनबाड़ गेज रेलवे लाइन तथा ऊपर सड़क का निर्माण किया गया। उस काल खंड से लेकर 1990 तक यह रेलवे पुल यातायात के लिए सक्रिय रहा। अत्यधिक पुराना होने के कारण रेलवे ने इसे वर्ष 1998 में यातायात के लिए प्रतिबंधित कर दिया।
योगी सरकार बनाएगी टूरिस्ट स्पाट
इसके पश्चात रेल मंत्रालय ने इसे तोड़ने का निर्णय लिया, लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर इसे ऐतिहासिक रेलवे सेतु को राज्य सरकार को सौंप दिया गया। इस पुल के इतिहास को देखते हुए एवं इसके साथ दीर्घकाल की स्मृतियों के जुड़ा होने के कारण राज्य सरकार ने इसे टूरिस्ट स्पाट के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। अंग्रेजों के दौर का बनाया हुआ यह रेलवे पुल स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का भी साक्षी रहा है। इसके अलावा कुंभ में श्रद्धालुओं की सेवा करता रहा। वर्ष 1998 में रेलवे द्वारा पुल को यातायात के लिए बंद किये जाने के पहले पुल से गुजरने वाली गंगा-गोमती एक्सप्रेस आखिरी ट्रेन थी।
कर्जन ब्रिज पर गैलरी का निर्माण एवं पर्यटन विकास की अन्य योजनायें पूरा हो जाने से पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा, जिससे रोजगार के साथ राजस्व भी मिल सकेगा। इसके माध्यम से सदियों से गंगा किनारे फलीं-फूलीं विभिन्न संस्कृतियों, अध्यात्म, खानपान, रहन-सहन का परिचय आम जनता को प्राप्त होगा। कार्ययोजना तैयार है, जल्द ही काम शुरु हो जाएगा।