सोशल मीडिया पर भी कम एक्टिविटी
अखिलेश यादव की चुनावी राजनीति को लेकर सोशल मीडिया पर कम एक्टिविटी दिखी। ट्विटर पर काफी एक्टिव रहने वाले अखिलेश यादव की ओर से आजमगढ़ लोकसभा उप चुनाव को लेकर एक भी ट्वीट नहीं दिखता है। विधान परिषद चुनाव के नामांकन के दौरान की एक तस्वीर को छोड़ दें तो अखिलेश यादव तमाम मुद्दों पर बात करते नजर आए हैं, लोकसभा उप चुनाव को छोड़कर। आठ जून से 22 जून दोपहर 12 बजे तक 35 ट्वीट किए गए। इसमें पार्टी और अन्य नेताओं के ट्वीट को री-ट्वीट किया जाना शामिल नहीं है। हालांकि, उनके ट्विटर वाल पर आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उप चुनाव से संबंधित कोई ट्वीट नहीं दिख रहा है।
मायावती भी काफी कम एक्टिव
बसपा सुप्रीमो मायावती भी लोकसभा उप चुनावों को लेकर काफी कम एक्टिव दिख रही हैं। उन्होंने भी अखिलेश यादव की तरह एक भी जनसभा नहीं की। चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद उन्होंने ट्वीट कर अपने उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के पक्ष में बड़े स्तर पर जनसमर्थन मिलने का दावा किया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर चुनावी मैदान से दोनों पार्टी के सुप्रीमो क्यों गायब रहे? अखिलेश यादव के बारे में तो कहा जा सकता है कि उन्होंने आजमगढ़ में लोगों के आक्रोश को कम करने के लिए प्रचार नहीं किया, लेकिन मायावती को लेकर सवाल हैं। भीषण गर्मी को आधार बनाया जा सकता है। हालांकि, चुनावी प्रचार अभियान गर्मी के बाद भी खूब गरमाया।
योगी-आजम ने गरमाया माहौल
आजमगढ़ से लेकर रामपुर तक सीएम योगी आदित्यनाथ ने माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं, सपा की ओर से आजम खान इस लोकसभा उप चुनाव के मैदान में अपना जोर दिखाते नजर आए। योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ और रामपुर में ताबड़तोड़ चुनावी सभाओं के जरिए समाजवादी पार्टी को घेरने की कोशिश की। उनके निशाने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव रहे। वहीं, आजम खान करीब 27 माह के जेल में बिताए गए दिनों को चुनावी सभाओं में याद कर वोटरों को इसका हिसाब लेने के लिए प्रेरित किया। रामपुर की एक चुनावी सभा में सीएम योगी ने आजम खान पर रस्सी जल गई एंठन नहीं गई वाला तंज भी कसा।