नई दिल्ली:
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसान 10 वें दिन भी जमे हुए हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को हुई बैठक में किसान नेताओं और सरकार के बीच 5 वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा हो रही है। अब एक बार फिर नौ दिसंबर को सुबह 11 बजे सरकार और किसान नेताओं की वार्ता होगी। इस बैठक में सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और किसानों की ओर से उनकी 40 प्रतिनिधि मौजूद थे।
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केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों को लेकर बने गतिरोध को तोड़ने का प्रयास करते हुए सरकार ने शनिवार को आंदोलनकारी किसानों के अधिकारियों से कहा कि उनकी संपत्ति पर ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन किसान संगठनों के नेता कानूनों को रद्द करने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने बातचीत के बीच छोड़ने की चेतावनी दी। हालांकि, सरकार किसान नेताओं को योगदान जारी रखने के लिए मनाने में सफल रही। यह सरकार और किसानों के बीच पाँच दौर की वार्ता थी।
#अपडेट करें: बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी हितधारकों के अनुरोध पर किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 9 दिसंबर को अगले दौर की वार्ता होनी है। # FarmLaws2020 pic.twitter.com/PprJ5YyPVV
– एएनआई (@ANI) 5 दिसंबर, 2020
किसानों का दावा है कि इन कानूनों से मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। दोपहर ढाई बजे शुरू हुई बैठक जब चाय ब्रेक के बाद दोबारा शुरू हुई तो किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बारे में नहीं सोच रही है तो वे बैठक छोड़कर चले जाएंगे। ब्रेक में किसान नेताओं ने अपने साथ भोजन और जलपान किया।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने उन्हें बातचीत जारी रखने के लिए मना लिया। किसानों द्वारा रखे गए प्रस्तावों पर बैठक में भाग लेने वाले किसानों के बीच मतभेद भी सामने आए। एक सूत्र ने कहा कि सरकार ने किसानों के खिलाफ पराली जलाने के और कुछ किसान श्रमिकों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की भी पेशकश की। कलाकारों ने शाम को बैठक स्थल पर मौजूद कुल 40 किसान नेताओं से तीन-चार किसान नेताओं के छोटे समूह के साथ बातचीत फिर से शुरू की।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के समूह से कहा कि सरकार सौहार्दपूर्ण बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है और नए कृषि कानूनों पर उनके सभी सकारात्मक सुझावों का स्वागत करती है। बाद में केंद्रीय राज्य मंत्री और पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने पंजाबी में किसान नेताओं को संबोधित किया और कहा कि सरकार पंजाब की भावनाओं को समझती है।
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एक सूत्र के अनुसार सोम प्रकाश ने किसान नेताओं से कहा कि हम खुले दिमाग से आपके सभी विचारों पर ध्यान देने को तैयार हैं। बैठक में रेल, कोरिया और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए। केंद्र की ओर से वार्ता की अगुवाई कर रहे तोमर ने अपने पूर्वजों में कहा कि सरकार किसान नेताओं के साथ वार्ता व्यापार बातचीत ’के लिए प्रतिबद्ध है और किसानों की भावनाओं को नाराज नहीं करना चाहती है।
सूत्रों ने बताया कि कृषि मंत्री ने तीनों कृषि कानूनों पर निर्णय और सुझावों का स्वागत किया, जबकि कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान नेताओं के साथ पिछले चार दौर की बातचीत की संक्षिप्त जानकारी दी। माना जा रहा है कि दोनों पक्षों ने नए कानूनों के तहत प्रस्तावित निजी मंडियों में व्यापारियों के पंजीकरण और विवाद निस्तारण के प्रावधान जैसे विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा की।
सूत्रों ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ महत्वपूर्ण बैठक से पहले राजनाथ सिंह और अमित शाह सहित केंद्रीय मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और प्रदर्शन कर रहे समूहों के मोर्चा बनाए रखने वाले संभावित प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया। मुलाकात में तोमर और गोयल भी उपस्थित थे। इससे पहले राजनाथ सिंह और अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रियों के साथ इस विषय पर चर्चा की थी।
सूत्रों ने कहा कि किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के केंद्र के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले केंद्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत के प्रधानमंत्री के फैसले से नजर आती है कि वह इस संकट को समाप्त किए जाने के लिए कितना महत्व दे रहे हैं। केंद्रीय किसानों और हजारों प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि समूह के बीच बृहस्पतिवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही। इसमें किसान नेता तीनों कानूनों को वापस जाने की मांग पर अड़े रहे, जबकि सरकार ने तीनों कानूनों में किसानों द्वारा उठाई गई शिक्षा के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करने और उन पर खुले दिमाग से विचार करने की पेशकश की थी।
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किसानों ने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद’ की घोषणा की है और चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती तो आंदोलन तेज किया जाएगा और राष्ट्रीय राजधानी आने वाले और सरकार को अवरुद्ध कर दिया जाएगा। सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार करार दिया है। वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे। केंद्र सरकार बार-बार इस बात पर जोर दे रही है कि मंडी और एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी और इसमें और सुधार किया जाएगा।
हजारों की संख्या में किसान सर्दी के मौसम में पिछले नौ दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा हैं। शनिवार की बैठक शुरू होने से पहले ऑल इंडिया किसान सभा के एक पदाधिकारी ने कहा कि नए कृषि कानूनों को रद्द करके ही गतिरोध समाप्त किया जा सकता है। बैठक स्थल से बाहर ‘इंडियन टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन’ (ITTA) के कर्मचारियों को ‘हम किसानों का समर्थन करते हैं’ लिखे बैनर लहराते और नारे लगाते हुए देखा गया।