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अहंकार धरातल की ओर ले जाता है – प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी

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अहंकार धरातल की ओर ले जाता है – प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी

विनम्रता शिखर की ऊंचाई की ओर तथाअहंकार धरातल की
ओर ले जाता है।- प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी म. सा.,
नीमच  संसार में व्यक्ति को आगे बढ़ाने के
लिए धर्म शाश्वत सत्य सहायक है।आत्मा ही कर्ता है ,आत्मा ही भोक्ता है,
आत्मा को संयम तप के द्वारा नियंत्रित करें तो दुनिया की कोई ताकत आपको गिरा नहीं
सकती है।जो विनम्रता रखता है वह ऊंचाई की ओर जाता है अहंकार करने वाले
व्यक्ति सदैव नीचे गिरते हैं।
यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने
कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी
वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल
रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म के सहयोग के बिना जीव एक कदम भी कहीं भी
नहीं चल सकता है।आत्मा जीव प्रमुख सर्वोपरि है । जैन धर्म अनेकांतवादी है।
निग्रंथ धर्म में जैन धर्म की धारा ,बौद्ध धारा, महात्मा बुद्ध भी जैन धारा
से ही निकला बाद में उन्होंने अपना अलग मार्ग विचार बना लिया था।दूसरों के
कल्याण का मार्ग बताएं वही सच्चा संत होता है। श्री कृष्ण ने गीता में कहा कि है
अर्जुन तू कर्म कल की इच्छा मत कर इस वाक्य में कर्म भक्ति ज्ञान योग का संदेश
दिया।
इसी प्रकार निग्रंथ धर्मशास्त्र में भी आगम धर्म शास्त्रों का सार व इसमें
भगवान की वाणी को भी संकलित कर 18 अध्याय तैयार किए गए हैं।आत्मा को धर्म
कर्म से जोड़कर अपने जीवन का सुरक्षा चक्र बनाना चाहिए। धर्म आत्मा का सुरक्षा
चक्र होता है। इंद्रियों पर नियंत्रण का उपयोग करने वाले का मन चेतन होता है।
सामायिक प्रतिक्रमणऔर प्रायश्चित कर इन्द्रियो पर नियंत्रण करना चाहिए ।इंद्रियों का
उपयोग सद्गति के लिए ही होना चाहिए।इंद्रियों को जीतना कठिन है। आत्मा
को लक्ष्य तय करना चाहिए तभी आत्मा का नियंत्रण होगा ।अपनी आत्मा के पाप कर्मों
को कम कर पुण्य कर्म बढ़ाने पर ध्यान लगाना चाहिए। आत्मा सहज नहीं है।आत्मा का
दमन बहुत मुश्किल होता है। महापुरुष भी आत्मा का दमन कर नियंत्रण प्राप्त कर
लेते थे।अतिथि देवो भव की परंपरा का निर्वहन करते हुए घर परिवार में पधारे
अतिथि का प्रथम सत्कार करना चाहिए तभी हमारा सम्मान हो सकता है।तपस्या के साथ
दूसरों के कल्याण की आराधना करनी चाहिए तभी जीवन सफल हो सकता है ज्ञान
पंचमी के लिए तपस्या से आराधना कर प्रार्थना करना चाहिए।साध्वी डॉक्टर विजया सुमन
श्री जी महाराज साहब ने कहा कि हम जीवन के हर क्षण में आनंद ले लालच में पाप कर्म
नहीं कर इस बात का पूरा ध्यान रखें तभी ज्ञान हमारे लिए कल्याण का कारण बन सकता
है।संत की वाणी इंसान पर गहरा प्रभाव छोड़ती है सभी के प्रति अच्छी भावना
स्नेहा भावना रखने चाहिए हम जैसा बीज बोएंगे वैसा ही फल पाएंगे इसलिए सदैव
दूसरों का भला करने में ही अपनी भलाई समझना चाहिए तभी हमारे जीवन का
कल्याण हो सकता है।यदि हम दूसरों के प्रति भी अच्छे भाव से सोचेंगे तो
हमेशा सबके लिए भला ही होगा।किसी के प्रति गलत सोचेंगे तो पहले अपना गलत भी
होगा इस बात को सदैव ध्यान रखना चाहिए। साध्वी जी महाराज साहब ने धर्म सभा
में सत्संग में आत्मा को सच्चा सुख मिलता है जीवन का पल-पल उपवन खिलता है..
गीत प्रस्तुत किया।मैं ही सब कुछ हूं इसमें अहंकार झलकता है और यह विनाश का

मार्ग बनता है। इस अवसर पर जोधपुर श्री संघ के हुकुमचंद सांखला, दीपक जैन
सांखला ने जोधपुर में चातुर्मास के लिए विनती की।
तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन ,शांति जाप एवं तप की
आराधना भी हुई।इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने
सामूहिक अनुमोदना की।
धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा.,
अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि
ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों
ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण
किया।
…………
चातुर्मास की विनती की और,
नन्नी अनाया को मिला आशीर्वाद…..
प्रवचन धर्म सभा के मध्य जब साध्वी डॉक्टर विजया श्री जी महाराज साहब ने अपने
धार्मिक प्रवचन में कहा कि अच्छे कर्म के अच्छे नतीजे और गलत कर्म के….? और
2 सेकंड के लिए मसा ने अपने प्रवचन रोक दिए तभी धर्म सभा में उपस्थित 5 वर्षीय
होली चाइल्ड स्कूल अलवर में प्रथम कक्षा में अध्यनरत नन्ही बालिका अनाया ने तपाक
से उत्तर दिया कि गलत और धर्म सभा में सभी ने कहा हर्ष हर्ष… जय जय…. तब
साध्वी महाराज साहब ने अनाया को कहा प्रसन्न रहो, सफल रहो, सदैव सत्य के साथ विजयी
रहो….. का शुभ आशीर्वाद प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि अनाया अलवर निवासी
समाजसेवी श्रीमती कोमल अरविंद जैन मैकेनिकल इंजीनियर की पुत्री है। यह परिवारजन
यहां चातुर्मास के दौरान धर्म सभा में प्रवर्तक विजय मुनि जी महाराज साहब आदि
ठाना से आशीर्वाद एवं गुरु दर्शन एवं श्री संघ की ओर से चतुर्मास विनती के लिए
पधारे थे।
 सरस्वती ज्ञान पूजा का यज्ञ कभी निष्फल नहीं जाता है-आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी ,
सरस्वती पूजन ज्ञान यज्ञ का फल कभी
निष्फल नहीं जाता है। धार्मिक यज्ञ बच्चों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता
है मन के भावों को पवित्र करता हैऔर ज्ञान के प्रति समर्पण भक्ति को जागृत करता
है इसीलिए बच्चों को बचपन से ही ज्ञान की धार्मिक पाठशाला से जोड़कर आत्म
कल्याण के संस्कार सीखने के लिए सभी माता-पिता अभिभावक को प्रेरणा देना
चाहिए ताकि बच्चा संस्कार युक्त ज्ञान प्राप्त कर संसार में रहते हुए भी अपनी आत्मा का
कल्याण कर सके।यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पाश्र्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री
संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा
के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के
उपलक्ष्य में जाजू बिलिं्डग के सामने पुस्तक स्थित नुतनआराधना भवनघ् में
आयोजित सरस्वती ज्ञान यज्ञ धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यज्ञ

पूर्णाहुति साधना का विधान ज्ञान की साधना का विधान 16 महाविद्या देवी
साधना यज्ञ के माध्यम से सिखाया गया है विधि कारक संजय शास्त्री भाटखेड़ी ने
बताया कि सरस्वती मां पूजन अभिषेक में 9बजे 50 नन्हे मुन्ने बच्चों ने भाग
लिया इस अवसर पर स्नात्र पूजन किया गया। सरस्वती अभिषेक जल और दूध केसर पूजा के
साथ किया गया धूप और दीपक से आरती की गई मंगल दीवार आरती की गई इस अवसर पर
धार्मिक शिक्षिका प्रवीण कोठारी ,नन्हे बच्चे परी लोढ़ा, आरती लोढ़ा, अहर्म,
अक्षय बाबेल ,नक्श चैरडिया,नव्या चोरडिया आदि सगरावत, एश्वी नंदेचा सहित
विभिन्न बच्चे उपस्थित थे।श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि आज
शनिवार सुबह 9 बजे जैन भवन में पांच ज्ञान की पूजा की आराधना व प्रवचन होंगे
धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री
चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी
चातुर्मासिक सानिध्य मिला। समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। उपवास,
एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में
जावद ,जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया,जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु सहभागी
बने।धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।

इंटर नेशनल सिँधी समाज संगठन द्वारा
दीवाली के चँड के उपलक्ष्य में इष्टदेव श्री झूलेलाल भगवान को 56 भोग
लगाया गया ।समाज की महिलाओ द्वारा एक दूसरे को दीवाली की बधाइयां दे कर
मिठाईया खिलाई। दिये जलाए गए। आरती पल्लव कर प्रसाद बांटा, इंटर नेशनल सिँधी
समाज संगठन की अध्यक्ष दिव्या लालवनी ने बताया कि इष्ट देव भगवान से सभी
परिवारों की खुशहाली के लिए कामना करना है, जिससे परिवारजनों के ऊपर कोई विपदा
नही आए एवं खुशहाल जीवन चलता रहे। भागेश्वर मंदिर प्रांगण मेंभगवान श्री
झूलेलाल को छप्पन भोग अर्पित किए गए। इस छप्पन भोग में विविध प्रकार के
भोज्य पदार्थों का भोग लगाया गया। इसमे सभी ने अपने घरों से अनेक प्रकार
की पारंपरिक डिश तैयार करके इस आयोजन में शामिल करते हुए इष्टदेव को अर्पित
भगवान झूलेलाल की आराधना पर नृत्य किया ।दीपक जला व फटाके चला कर
आतिशबाजी से प्रसन्नता का इजहार किया। इसमें इसके साथ ही महाआरती का आयोजन
किया गया। श्रृद्धालुओं ने जयकारे लगाए। कार्यक्रम के समापन पर सभी परिवारों की
खुशहाली के लिए अरदास की गई एवं परंपरागत पल्लव पूजा की गई। इस अवसर पर
अध्यक्ष दिव्या लालवनी सचिव कोमल भागवानी पलक लालवनी महक चावला करीना
भाग्यवानी मोनिका पाहुजा,पायल लालवानी, अंजलि आसवानी, भारती मंगवानी, जिया
रामचंदानी , काजल दमेचा ,लष्मी प्रेमणि ,हिमांशी रामचंदानी , लता होतवानी ओर
इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल रहे। उपस्थित सभी
भक्तों को प्रसादी का वितरण किया गया।

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