
कई स्थानों पर तो दूर से ही आ रही दुर्गंध के कारण वहाँ रुकना भी संभव नहीं है।
महासभा के अध्यक्ष महेश पाठक ने कहा, हालांकि राज्य सरकार ने कुम्भ (कुंभ मेला) पूर्व बैठक के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की है, लेकिन यमुना में अत्यधिक प्रदूषण के कारण वहाँ स्नान करना तो क्या, स्नान के लिए प्रवेश करना भी संभव नहीं है पा रहा है।
उन्होंने कहा, इसीलिए इस महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन के अवसर पर पिछले शाही स्नान के दौरान 27 फरवरी को देवरहा बाबा घाट, यमुना में दूषित जल पाकर कई संत-महात्माओं ने स्नान नहीं किया। उन्होंने राज्य सरकार को चेतावनी भी दी थी कि यदि अगले स्नान पर्व तक यमुना के जल की स्वच्छा अच्छी नहीं हुई तो वे स्नान नहीं करेंगे।
तीसरा शाही स्नान 9 मार्च और चौथा व अंतिम स्नान 13 मार्च को होना है
गौरतलब है कि इसके बाद सिंचाई विभाग ने अपस्ट्रीम से यमुना और गंगाजल की आपूर्ति करने वाली दो अलग-अलग नहरों के माध्यम से काफी पानी छोड़ा था। लेकिन उक्त नहरों की पटरी टूट जाने का खतरा पैदा हो जाने पर उन्होंने और ज्यादा पानी छोड़ने से हाथ खड़े कर दिया। वर्तमान में स्थिति यह है कि वृन्दावन में यमुना का जल काफी प्रदूषित है।आने वाले मेले के लिए भी ऐसी घोषणाएं कीं
वहीं, बीते महीने भी यमुना के गंभीर जल प्रदूषण को उजागर करते हुए, देश के तीन प्रमुख हिंदू संतों ने शनिवार को संकल्प लिया कि वे वर्तमान में चल रहे वृंदावनंभ के दौरान बाकी ‘शाही स्नान’ में तब तक भाग नहीं लेंगे, जब तक। उस नदी का पानी साफ नहीं हो पाता। अयोध्या स्थित महा निर्वाणी अखाड़ा के प्रमुख महंत धर्मदास ने शेष तीन शुभ दिनों- 9, 13 और 25 मार्च को नदी में ‘शाही स्नान’ का बहिष्कार करने की घोषणा की। उन्होंने आगामी मेले के लिए भी ऐसी घोषणाएं कीं।