‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 24वाँ पाँच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ सम्पन्न
लखनऊ, सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के
24वें पाँच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में पधारे 61 देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश व
अन्य प्रख्यात हस्तियों ने ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ के माध्यम से विश्व के सभी देशों के राष्ट्र प्रमुखों का
आह्वान किया है कि भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छ वातावरण, शान्तिपूर्ण विश्व व्यवस्था एवं सुरक्षित
भविष्य हेतु अविलम्ब एक उच्चस्तरीय बैठक बुलायें। पाँच दिनों तक चले इस महासम्मेलन में विश्व की
प्रख्यात हस्तियों, न्यायविद्दों व कानूनविद्दोंने गहन चिन्तन, मनन व मन्थन के उपरान्त आज
सी.एम.एस. गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) ऑडिटोरियम में सर्वसम्मति से ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी
किया।
लखनऊ घोषणा पत्र जारी करने के अवसर पर आयोजित प्रेस कान्फ्रेन्स में देश-दुनिया से
पधारे न्यायविद्दों व कानूनविद्दोंने विस्तार से अपने विचार रखते हुए कहा कि भावी पीढ़ी के सुरक्षित
भविष्य हेतु एक ‘नवीन विश्व व्यवस्था’ के गठन तक हमारा प्रयास निरन्तर जारी रहेगा। इस घोषणा पत्र
में विश्व के 61 देशों से पधारे न्यायविद्दों व कानूनविद्दोंने विश्व एकता व शान्ति हेतु ठोस कदम उठाने
की आवश्यकता जोर दिया है, साथ ही मूलभूत अधिकारों, सभी धर्मो का आदर करने एवं विद्यालयों में
शान्ति व एकता की शिक्षा देने के लिए भी कहा गया है।
प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से बातचीत करते हुए विभिन्न देशों से पधारे न्यायविद्दों व
कानूनविद्दों ने एक स्वर से कहा कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ द्वारा आयोजित यह मुख्य
न्यायाधीश सम्मेलन एक ऐतिहासिक सम्मेलन है, जिससे आगे की पीढियां अवश्य लाभान्वित होंगी।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए न्यायविदों ने संकल्प व्यक्त किया कि वे अपने-अपने देश जाकर अपनी
सरकार के सहयोग से इस मुहिम को आगे बढायेंगे जिससे विश्व के सभी नागरिकों को नवीन विश्व
व्यवस्था की सौगात मिल सके और प्रभावशाली विश्व व्यवस्था कायम हो सके।
लखनऊ घोषणा पत्र का विस्तृत विवरण इस प्रकार है:-
यह समझते हुए कि विश्व भर में अधिकांश लोग मौलिक मानवीय अधिकार से वंचित गरीबी में जीवन
व्यतीत कर रहे हैं और खासतौर पर गरीब देशों के बच्चे विभिन्न प्रकार के दुर्व्यवहारों का शिकार होते हैं
और बच्चों के रूप में अपने अधिकारों से वंचित रहते हैं,
यह मानते हुए कि भारतीय संस्कृति की वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात सारा विश्व समाज एक परिवार है, के
अनुरूप सतत विकास के महान लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विश्व शांति की परम अवश्यकता है ताकि विश्व
समाज या वैश्विक परिवार में सभी का विकास किया जा सके और सबके लिए एक उज्जवल भविष्य का
निर्माण हो व मानवता को प्रगति की ओर आगे ले जाया जा सके,
यह भी मानते हुए कि वैश्वीकरण के इस युग में राष्ट्रों की एक दूसरे पर निर्भरता व सहयोग स्वाभाविक है,
जैसा कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी में साबित हुआ और आगे भी ऐसी कई आपातकालीन
परिस्थितियाँ आ सकती है,
यह भी मानते हुए कि विश्व के कुछ भागों में चल रहे संघर्षों के अन्तराष्ट्रीय प्रभाव हो रहे हैं और इनसे
अधिक बड़े संघर्षों और परमाणु युद्धों की संभावनायें बढ़ गई है जिनसे अभूतपूर्व मात्रा में मृत्यु व तबाही
का अंदेशा है और यह कि युद्ध व हिंसा विवादों के निपटारे का सही तरीका नहीं है तथा यह कि अनेक देशों
ने रक्षा के नाम पर अपने कई संसाधनों को खर्च कर दिया है जिनका इस्तेमाल इसके बजाय मानवता की
भलाई के लिए किया जा सकता था।
यह मानते हुए कि जलवायु परिवर्तन से मानवता के अस्तित्व को खतरा है। इसे कम करने और इसके
अनुरूप स्वयं को ढालने की आवश्यकता है और कान्फ्रेन्स ऑफ पार्टीज के समझौते के अनुसार गंभीर
कदम उठा कर ग्लोबल वार्मिंग पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है और यह कि विकसित देश जो कि
‘ऐतिहासिक प्रदूषक’ हैं, उन्हें वातावरण फंडिंग के अपने वादे को निभाने की आवश्यकता है।
यह मानते हुए कि संयुक्त राष्ट्र एक बड़ी संस्था है जो शान्ति, मानवाधिकार, सामाजिक उत्थान, विकास व
अन्य क्षेत्रों में अपनी विभिन्न संस्थआों के माध्यम से काम कर रही है परन्तु जिसमें अधिकारिकता व
आवश्यक तंत्रों की कमी है, जिससे आम सभा के निर्णयों को लागू किया जा सके जैसे कि जातीय व क्षेत्रीय
संघर्षो व युद्धों का कम करना, वर्तमान की आवश्कताओं के अनुरूप समीक्षा करके संयुक्त राष्ट्र चार्टर में
बदलाव करना आदि,
अतः अब हम मुख्य न्यायाधीश, जज एवं कानूनविद् जो कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा 3 से 6 नवम्बर
2023 तक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर आधिारित विश्व के 24वें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश
सम्मेलन एवं पूर्व में आयोजित सम्मेलनों में पारित प्रस्तव की पुष्टि करते हैं तथा ‘रूल ऑफ लॉ’ एवं
न्यायालय की स्वतंत्रता की केन्द्रीयता की भी पुष्टि करते हैं, और आगे संकल्प करते हैं –
1. कि विश्व की न्यायपालिकाओं के न्यायाधीषों से निवेदन किया जाए कि:-
अ) रूल ऑफ लॉ को कायम रखा जाए और समस्त जनों के सम्मान को बढावा दिया जाए
क्योंकि यही मौलिक मानवीय अधिकारों व मौलिक स्वतंत्रता का आधार है,
ब) घोर भ्रष्टाचार के मामलों से निबटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी न्यायालय
;।दजप ब्वततनचजपवद ब्वनतजद्ध की स्थापना के लिए सलाह दें,
स) अपनी-अपनी राष्ट्रीय सरकारों को अपने स्कूलों में अर्न्त-साँस्कृतिक व वैश्विक
नागरिकता की शिक्षा आरम्भ करने के लिए प्रेरित करें,
द) अपने-अपने देश के राजनेताओं को अपने देश में प्रभावशाली वैश्विक शासन के लिए
प्रयास करें।
2. कि विश्व के सभी देशों के प्रमुख तथा सरकारों के प्रमुख से निवेदन किया जाये कि –
अ) वैश्विक संस्था के गठन हेतु संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 109 की समीक्षा करने हेतु,
ठोस कदम उठायें, ताकि संयुक्त राष्ट्र के अधिकार, प्रतिष्ठा एवं शक्ति को सुदृढ़ किया जाये ताकि आम
सभा के प्रस्तावों को लागू किया जा सके, और वह वैश्विक संघर्षों व युद्धों को समाप्त करने व ‘रूल ऑफ
लॉ’ को अमल में ला सके,
ब) ग्लोबल वार्मिंग खत्म/कम करने के लिए आवश्यक कदम उठायें जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के
वातावरणीय बदलाव के सम्मेलनों में समझौते एवं प्रतिबद्धताओं में कहा गया है, एवं विकसित देशों से
दृढतापूर्वक कहा है कि वे वातावरण के लिए वित्तीय सहायता के लिए किए गए अपने वादे को समयबद्ध
ढंग से पूरा करेे, और एक अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायालय की स्थापना पर विचार करे।
स) वे राष्ट्राध्यक्षों/सरकार के प्रमुखों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलायें जिससे कि वे सतत
विश्व व्यवस्था एवं प्रजातांत्रिक ढंग से चुने गए विश्व संसद की स्थापना के लिए प्रभावशाली वैश्विक
शासन करने वाली संस्था की स्थापना करें जिससे कि विश्व की कार्यपालिका एवं विश्व न्यायालय की
स्थापना हो, और
द) वे अपने देशों के सभी स्कूलों में नागरिक शिक्षा, शांति शिक्षा एवं क्रास कल्चरल
(अर्न्तसांस्कृतिक) समझ पैदा करने के लिए निर्देश देने की दिशा में कदम उठायें, जिससे कि जिम्मेदार
विश्व नागरिक तैयार हो सकें।
3. यह कि संयुक्त राष्ट्र पर जोर दिया जाए कि:-
अ) वह संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की समीक्षा करे, जिसमें सुरक्षा परिषद का संशोधन सम्मिलित
हो, जिससे उसको एक अधिक प्रभावशाली, प्रजातान्त्रिक एवं प्रतिनिधि संस्था बन सके।
ब) वैश्विक संसदीय विधानसभा (वर्ल्ड पार्लियामेन्ट्री असेम्बली) के गठन पर विचार करे।
स) आतंकवाद, कट्टरपंथी व युद्धों को रोकने के लिए व महासंहार के शस्त्रों का अन्त करने
के लिए प्रयास किए जाएँ, और
द) एक अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट की स्थापना पर विचार किया जाए।
यह भी माना जाता है कि इस संकल्प-पत्र की प्रतियाँ संसार की सभी राष्ट्राध्यक्षों व मुख्य
न्यायाधीशों के पास भेजी जायेंगी व संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को भेजी जायेंगी, जिससे वे इन पर
विचार करें और ठोस कदम उठाएँ।