यूपीएल एसएएस ने किसानों की उपज बढ़ाने और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एनएसएल शुगर्स के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
—शाश्वत मिठास पहल को मिलकर लागू करेंगे, जिससे 30000 एकड़ के 15000 किसानों को होगा बेहतर आय और मुनाफे का फायदा
—प्राकृतिक संसाधनों के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल और जेबा टेक्नोलॉजी सहित क्रांतिकारी प्रोनुटिवा पैकेज के उपयोग के माध्यम से उपज को 15% तक बढ़ाने का लक्ष्य
टिकाऊ कृषि उत्पादों और समाधानों की वैश्विक प्रदाता यूपीएल सस्टेनेबल एग्रीकल्चर सॉल्यूशंस लिमिटेड (यूपीएल एसएएस) ने ‘किसान पहले’ दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए गन्ने की टिकाऊ खेती के साथ देश के मुख्य चीनी उत्पादकों में से एक एनएसएल शुगर्स लिमिटेड (एनएसएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। सहयोग का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के अनुकूलित उपयोग के माध्यम से हरित कृषि को बढ़ावा देना भी है। एनएसएल के साथ समझौते से तीन राज्यों- तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र के लगभग 50000 लाभार्थी अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ जाएंगे और इसमें करीब 1 लाख एकड़ का प्रभावित क्षेत्र शामिल होगा। यूपीएल एसएएस और एएसएल शुगर्स के बीच यह साझेदारी एक—दूसरे की विशेषज्ञता का फायदा उठाएगी। यूपीएल एसएएस ने बाजार में पैठ हासिल की है, जबकि एएसएल शुगर्स ने टिकाऊ गन्ने की खेती का लाभ उठाया है। इस समझौते का फायदा चीनी की पूरी वैल्यू—चेन के इकोसिस्टम को होगा, जिसमें टिकाऊ चीनी खरीदने के इच्छुक ग्राहक भी शामिल हैं।
इस साझेदारी का प्राथमिक उद्देश्य प्रति एकड़ उपज में न्यूनतम 15% की वृद्धि हासिल करना है, जो लगभग 5 मीट्रिक टन प्रति एकड़ के बराबर है, जिससे किसानों को 12,000 से 15,000 रुपए प्रति एकड़ की अतिरिक्त आय होगी। इसका उद्देश्य टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देते हुए किसानों के लिए इनपुट लागत को घटाना भी है। इस सहयोगात्मक प्रयास से प्रति एकड़ अनुमानित 6 लाख लीटर पानी और 50 किलोग्राम यूरिया की बचत होने की उम्मीद है, जिससे हरित कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण पर बुरा असर कम होगा।
यह सहयोग यूपीएल एसएएस के सस्टेनेबल शुगर प्रोग्राम शाश्वत मिठास पहल के विस्तार के रूप में कार्य करता है, जिसने पहले ही पुणे, महाराष्ट्र में 10,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र को कवर करते हुए महत्वपूर्ण प्रगति की है। तीन वर्षों के दौरान, यूपीएल एसएएस और एनएसएल चरणबद्ध तरीके से कार्यक्रम को लागू करके इस सहयोग को अगले स्तर तक ले जाएंगे। प्रारंभिक चरण में पहले वर्ष में 30,000 एकड़ को कवर किया जाएगा, धीरे-धीरे पूरे परिचालन क्षेत्र को शामिल करने के लिए विस्तार किया जाएगा।
आरंभिक 30,000 एकड़ भूमि पर कार्यक्रम का प्रत्याशित प्रभाव महत्वपूर्ण है। इससे लगभग 1,800 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होने की उम्मीद है, जो प्रति एकड़ लगभग 6 लाख लीटर है। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम का लक्ष्य 1,500 मीट्रिक टन यूरिया की खपत करना है यानी प्रति एकड़ में लगभग 50 किलोग्राम यूरिया का उपयोग होगा, इससे नाइट्रस ऑक्साइड (जीएचजी) उत्सर्जन में 25% की कमी आएगी। नाइट्रस ऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड से 300 गुना अधिक खतरनाक है। यूपीएल और एनएसएल के बीच यह सहयोग गन्ने की खेती में टिकाऊ प्रथाओं के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देने के प्रति उनके समर्पण की बानगी है।
यूपीएल लिमिटेड में वैश्विक कॉर्पोरेट और उद्योग मामलों के प्रेसिडेंट सागर कौशिक ने कहा, स्थिरता के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता हमारी प्राथमिकताओं में सबसे आगे बनी हुई है। हम अपने प्राथमिक हितधारकों यानी किसानों की समृद्धि और कल्याण के प्रति अपने समर्पण पर दृढ़ हैं। टिकाऊ कृषि पद्धतियों के कार्यान्वयन के माध्यम से, हमारा लक्ष्य खेती और पर्यावरण के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध को बढ़ावा देना है। हमारे टिकाऊ गन्ना कार्यक्रम की शुरूआत हमारी व्यापक दृष्टि के प्रारंभिक चरण का प्रतीक है। आगे हम इन प्रयोगों को कई फसलों में दोहराएंगे, क्योंकि हम संपूर्ण फूड वैल्यू चेन में सस्टेनेबिलिटी लाने के प्रयास कर रहे हैं।‘