ध्रुव कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर, बिहार,
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के अधिसभा की बैठक में हंगामें के बीच वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए 1049.60 करोड़ के बजट सहित 28 प्रस्तावों को मंजूरी
लगभग 10 महीनों के बाद बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के अधिसभा की बैठक कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच केन्द्रीय पुस्तकालय के सीनेट हॉल में सम्पन्न हुई. बैठक के विधिवत प्रारंभ होने के साथ ही अधिसभा के अधिकांश सदस्यों ने कुलपति को अपना अभिभाषण प्रारम्भ करने से रोकते हुए हंगामा शुरू कर बैठक स्थगित करने की मांग करने लगे. बिहार विधान परिषद सदस्य सह अधिसभा सदस्य डॉ.संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में अधिकांश सदस्यों ने कुलपति पर आरोपों की बौछार करते हुए बैठक स्थगित करने की मांग करते हुए लगभग 04 घंटे तक हंगामा किया. कुलपति द्वारा आगामी 11 जनवरी को पुनः अधिसभा के सदस्यों द्वारा उठाये गए विषयों पर सीनेट की अगली बैठक बुलाने की घोषणा और प्रति-कुलपति, कुलसचिव तथा अभिषद के वरिष्ठ सदस्यों की काफी आग्रह पर बैठक की कार्यवाही प्रारम्भ हुई. कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद पाण्डेय ने अपने अभिभाषण में कहा की मेरे कार्यकाल की इस तीसरी अधिसभा की बैठक है. बिहार का यह दूसरा सबसे पुराना विश्वविद्यालय अभिषद और अधिसभा के शिक्षा-मर्मज्ञ सदस्यों, कर्मठ प्रति-कुलपति प्रो.रविन्द्र कुमार, सुयोग्य कुलसचिव डॉ.रामकृष्ण ठाकुर विश्वविद्यालय के चतुर्दिक विकास के लिए तत्पर पदाधिकारियों और कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों के सहयोग से अपनी शैक्षिक गरिमा अक्षुण्ण रखते हुए निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर है. कुलपति डॉ.पाण्डेय ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण हुई अस्त-व्यस्तता से अब हम मुक्त हो चुके है, इसलिए यह वर्ष नविन संभावनाओं और नयी उपलब्धियों का वर्ष सिद्ध होगा. विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो.रविन्द्र कुमार ने विश्वविद्यालय के वित्तीय वर्ष 2023-2024 का बजट अभिलेख प्रस्तुत करते हुए कहा की प्रस्तुत बजट में निहित कार्य योजनाओं को यूजीसी के मापदंडों एवं सरकार के निर्देशों के अनुरूप हम सभी को क्रियान्वित करने एवं शिक्षा के बहुआयामी वास्तविक विकास के प्रतिमान को पाने में आसानी हो ऐसी व्यवस्था की गयी है. डॉ.कुमार नें कहा की विश्वविद्यालय अपनें पाठ्यक्रमों, नामांकन,परीक्षा,पुस्तकालय,प्रयोगशाला आदि को नयी शिक्षा निति के तहत अद्यतन करनें की दिशा में अग्रसर हुआ है,किन्तु अभी और दूरियां तय करनें के लिए हम सभी दृढ संकल्पित हैं. विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. रामकृष्ण ठाकुर ने अधिसभा के लगभग आधा दर्जन सदस्यों की ओर से पूछे गए प्रश्नों के जवाब की रिपोर्ट जारी की। प्रश्न पूछने वालों में डॉ.संजय कुमार सिंह, पूर्व उप-मुख्यमंत्री रेणु देवी, डॉ.विजय कुमार, डॉ.रमेश गुप्ता, श्याम कुमार महतो, रघुवंश प्रसाद सिंह, डॉ.रामजी सिंह, संजय वर्मा और राजकिशोर ठाकुर मुख्य रूप से शामिल थे. 111 सदस्यीय अधिसभा की बैठक में पूर्व कुलपति डॉ.अशेश्वर यादव, डॉ.नरेंद्र कुमार सिंह, डॉ.रेवती रमण, ममता कुमारी, डॉ.ललन कुमार झा, डॉ.वीरेंद्र चौधरी, डॉ.प्रमोद कुमार, डॉ.शिवानंद सिंह, डॉ.ओमप्रकाश राय, डॉ.हरेन्द्र कुमार, डॉ.रवि श्रीवास्तव, डॉ.अमिता शर्मा, डॉ.अजित कुमार, डॉ.अभय कुमार सिंह, डॉ.बिपिन कुमार राय, डॉ.धनंजय सिंह, डॉ.जी.के.ठाकुर, डॉ.कनुप्रिया, डॉ.वीरेंद्र सिंह मुख्य रूप से शामिल थे. वहीं दूसरी ओर अधिसभा की बैठक को सफल और सुचारू रूप से सम्पन्न कराने में विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी प्रो.अहसान रशीद, विधि अधिकारी प्रो.मयंक कपिला, कर्मचारी संघ के सचिव गौरव, संजीव सिंह, सुरेश राय, विक्रम कुमार, राजीव कुमार, इन्द्रसेन कुमार, कुंदन कुमार, विकास मिश्रा, रामकुमार, मणि कुमार, लालबाबू, आदि ने अहम भूमिका निभाई. वहीं दूसरी ओर सीनेट की बैठक में छात्रों के हित की अनदेखी के खिलाफ एआईडीएसओ की ओर से विरोध- प्रदर्शन किया गया। एआईडीएसओ के जिलाध्यक्ष शिव कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन लाखों छात्रों के हितों को नजरअंदाज कर तानाशाही पूर्ण व गैर जनवादी तरीके से सीनेट और सिंडिकेट का संचालन करते हैं। जहां सत्र को नियमित करने, फीस वृद्धि से समस्या, रिजल्ट की गड़बड़ी दूर करने, शैक्षिक वातावरण बनाने आदि छात्र हित के मुद्दों पर चर्चा व निर्णय नहीं लिये जाते और छात्र प्रतिनिधियों को बैठक में भी शामिल नहीं किया जाता है विश्वविद्यालय में लगातार शैक्षणिक अराजकता का माहौल बना हुआ है और छात्रों भविष्य अंधकारमय है।