दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को तुर्किट मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत दे दी। कोर्ट ने दिशा को राव को ज़मानत देते हुए कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप मेकिंग, तोल कप कप एडिट करना अपने आप में अपराध नहीं है।

दिशा राव की जमानत पर कोर्ट ने कहा- व्हाट्सएप ग्रुप बनाना अपराध नहीं है (फोटो क्रेडिट: फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को तुर्किट मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत दे दी। कोर्ट ने दिशा को राव को ज़मानत देते हुए कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप मेकिंग, तोल कप कप एडिट करना अपने आप में अपराध नहीं है। महज व्हाट्सएप चैट चैटट करने से उसे PJF संगठन से जोड़ना ठीक नहीं है। ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे रवि की अलगाववादी सोच साबित हो। 26 जनवरी को प्रोटेस्ट की पुलिस से इजाज़त मिली थी। लिहाजा, उस दिन शांतनु के शामिल होने के लिए दिल्ली आने में स्पष्ट नहीं है।
दिशा राव को जमानत देने वाले आदेश में जज धर्मेन्द्र राणा ने मत विभिन्नता की ताक़त को बताने के लिए ऋग्वेद का उदाहरण दिया। उन्होंने एक श्लोक का जिक्र करते हुए कहा कि 5000 साल पुराने सभ्यता समाज के विभिन्न वर्गों से आने वाले विचारों को लेकर कभी भी विरोध नहीं किया जा रहा है। इस दौरान कोर्ट ने माना कि तुलेट किट से हिंसा को लेकर कोई कॉल की बात साबित नहीं होती है। एक लोकतांत्रिक देश में नागरिक सरकार पर नज़र रखते हुए हैं। सिर्फ इसलिए कि वह सरकारी नीति से सहमति नहीं है, उन्हें जेल में नहीं रखा जा सकता है। देशद्रोह के क़ानून का ऐसा इस्तेमाल नहीं हो सकता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा ने कहा कि अस्पष्ट साक्ष्य को देखते हुए, मुझे 22 वर्षीय लड़की के लिए जमानत के नियमों का उल्लंघन करने का कोई भी ठोस कारण नहीं मिला है, जिसके पास कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। राव को निर्देश दिया गया है कि वह देश नहीं छोड़ेंगे, और जमानत देने की शर्त के रूप में चल रही जांच में सहयोग करें।
आपको बता दें कि दिशा रवि पर किसानों के आंदोलन से जुड़े ‘तुल्कित’ मामले में फंस रचने और देशद्रोह का आरोप लगाया गया है और उसे 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था। 20 फरवरी को तीन घंटे की जमानत की सुनवाई के दौरान, पुलिस ने कहा था कि ‘तुल्कित’ को भारत को बदनाम करने और हिंसा भड़काने के लिए तैयार किया गया था।
पुलिस ने कहा था कि अपनी भागीदारी को छिपाने के लिए पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन और सिखाने के लिए जस्टिस ने गतिविधि को अंजाम देने के लिए दिशा राव को एक एमक्यू के रूप में इस्तेमाल किया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने अदालत से कहा कि ये संगठन खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े हुए हैं। हालांकि, रवि के वकील एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने दावा किया कि 26 जनवरी को किसान मार्च के दौरान हुई हिंसा को तुकित को जोड़ने का कोई सबूत नहीं है।
पहली प्रकाशित: 23 फरवरी 2021, 06:45:43 अपराह्न
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