श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा विश्राम , नम आंखों से दी पंडित त्रिपाठी को भावभीनी विदाई
नीमच मित्रता में गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए मित्र एक दूसरे का पूरक होता है। भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा की गरीबी को देखकर रोते हुए अपने राज सिंहासन पर बैठाया और उन्हें उलाहना दिया कि जब गरीबी में रह रहे थे तो अपने मित्र के पास तो आ सकते थे लेकिन सुदामा ने मित्रता को सर्वोपरि मानते हुए श्री कृष्ण से कुछ नहीं मांगा ।सुदामा चरित्र जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा ।अर्थात निस्वार्थ समर्पण की असली मित्रता है।यह उद्गार पंडित रुद्रदेव त्रिपाठी ने व्यक्त किए। वे गांधी वाटिका स्थित वात्सल्य भवन में श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के प्रिय मित्र सुदामा जोकि अत्यधिक निर्धन थे लेकिन कृष्ण के नाम का बहुत सारा धन उनके पास था कभी किसी के पास उन्होंने जाकर किसी भी प्रकार की याचना नहीं की और और उनके इसी स्वभाव से प्रसन्न होकर भगवान ने उनको धरती और स्वर्ग में रहने वाले राजाओं को जो सुख मिलता है वह सुख प्रदान किया ।बचपन के मित्र सुदामा पर कृपा करके भगवान ने मानो यह संदेश दिया कि मित्र के सुख-दुख को देखकर अपने पहाड़ जैसे दुख को भी भूल कर मित्र की सहायता करना ही सच्ची मित्रता कहलाता है ।मित्रता वह नहीं है जो हमें गलत आदतों में डाले बुरी संगत में डाले इसलिए मित्र भी बनाओ तो बड़े सोच समझकर और जो तुम्हें ऊंचाइयों का रास्ता दिखाइए वही सच्चा मित्र होता है ।पंडित रुद्रदेव त्रिपाठी ने परीक्षित मोक्ष की तरफ मोड़ते हुए कहा कि 7 दिनों तक कथा सुनने के बाद जब सुखदेव जी द्वारा परीक्षित से पूछा गया कि यदि तुम्हें तक्षक नाग डसेगा तो क्या तुम मरोगे ।तब राजा परीक्षित ने कहा कि हे भगवान मैं तो श्रीमद् भागवत कथा सुनकर मुक्त हो गया हूं अब तो यह शरीर नश्वर है वही नष्ट होगा मैं तो भगवान श्री कृष्ण की कथा सुनकर स्वत: ही मुक्त हो गया हूं। महाराज श्री ने राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाते हुए कथा को विश्राम दिया महाराज श्री के 7 दिनों के सानिध्य पाने के बाद समस्त आयोजन समिति और श्रद्धालु भक्त भावविभोर हो गए थे और पूरा भक्ति पंडाल श्रोताओं से भरा हुआ था और नाम आंखों से महाराज श्री को भावभीनी विदाई सभी ने समर्पित की। इस अवसर पर आयोजन समिति द्वारा महाराज श्रीएवं संगीत कलाकारों की टीम एवं व्यास पीठ पर विराजित विद्वान पंडितों का शाल श्रीफल से सम्मान किया गया।
पंडित त्रिपाठी ने कृष्ण सुदामाके प्रसंगों के महत्व पर वर्तमान परिपेक्ष में प्रकाश डाला।
स्वर्गीय मूलचंद एवं स्वर्गीय कस्तूरीबाई चौबे की स्मृति में पंडित रुद्रदेव त्रिपाठी के श्री मुख से श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कथा संकल्प यजमान सांवरिया चौबे परिवार के ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि श्रीमद् भागवत की श्रृंखला में 1 जनवरी रविवार को सुबह 9 बजे सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष एवं कथा का विश्राम हुआ।
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कृष्ण सुदामा मिलन देखकर भाव विहल हुए श्रद्धालु
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भागवत कथा के दौरान जब पंडित रुद्रदेव त्रिपाठी ने कृष्ण सुदामा मिलन का प्रसंग बताया तो था तभी कृष्ण सुदामा की झांकी नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जिसे देखते ही भक्ति पांडल में श्रद्धालु श्रद्धालुओं ने जय जय श्री कृष्ण की जय घोष लगाई । कृष्ण सुदामा का मार्मिक चित्रण देखकर श्रद्धालुओं की नम आंखों से अश्रुधारा बहने लगी इस अवसर पर अरे द्वारपालो जाकर के कन्हैया से कह दो दर पर सुदामा करीब आ गया है भजन पर श्रद्धालुओं ने करतल ध्वनि से अभिनंदन किया ।नाटिका में सुदामा महेश शर्मा, श्री कृष्ण लोकेश उपाध्याय रुकमणी कृति उपाध्याय ,द्वारपाल विपिन जोशी ईशान जोशी ने प्रभावी अभिनय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विधायक दिलीप सिंह परिहार भी उपस्थित थे।