
योगी सरकार ने अपने आखिरी पूर्ण बजट के अनुसार यदि आवश्यक विधानसभा चुनाव 2022 की जंग जीतने की सेटिंग जरूर तय कर दी।
उत्तर प्रदेश बजट 2021: योगी सरकार ने अपने कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट में दावा किया कि यह बजट प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के संकल्प के साथ लाया गया है। बजट के कुछ निर्णय लोक-लुभावन तो हैं ही लेकिन कुछ निर्णय भी ऐसे हैं जो सबको चौंकाते हैं।
1. साहसिक निर्णय
सभी को उम्मीद थी कि राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल और गैस के बढ़ते दामों से लोगों को राहत दिलाएगी। उम्मीद की जा रही थी कि वैट में थोड़ी कटौती करके कम से कम पांच रुपये की राहत तो मिलती है, लेकिन, सरकार ने बजट में वर्तमान में इसकी कोई व्यवस्थाजाम नहीं किया है। सरकार के कड़े फैसले के रूप में इसे देखा
रहा है। साथ ही जरूरी भी बताया जा रहा है क्योंकि वैत कम करने से आम जनता को थोड़ी राहत तो मिलती है, लेकिन, सरकारी खजाने पर इसका जबरदस्त जोर पड़ता है जिससे दूसरी योजनाओं के लिए पैसे की किल्लत कम हो सकती थी। बजट में योगी सरकार ने नई योजनाओं के लिए 27 हजार करोड़ की व्यवस्था की है। इसकी तारीफ तो उनके आलोचक भी कर रहे हैं। ज्यादातर अर्थशास्त्री मानते हैं कि कोविड काल में पैसे की तंगी झेल चुकी सरकार ने नई योजनाओं के लिए जो पैसा अगले वित्तीय वर्ष के लिए रखा है, उसके लिए दमदार फैसले लेने की नीयत झलकती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पैसे का इंतजाम अभी भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है फिर भी ऐसे फैसले लेने के लिए जिगरा तो होना ही चाहिए ।2। कुछ लोक-लुभावन निर्णय भी
इसमें कोई दो राय नहीं कि चुनावी वर्ष में सरकारें हमेशा से लोक लुभावन बजट पेश करती रही हैं। योगी सरकार के बजट में भी कुछ ऐसे फैसले हैं जिन्हें चुनावी कहा जा सकता है। सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 1430 करोड़ की अलग छात्रवृति की योजना इसी कड़ी में दिखाई देती है। इसके अलावा मुफ्त कोचिंग और एमबी बैंडिंग का फैसला भी इसी ओरण इशारा करता है। किसानों को मुफ्त में पानी मिल सके इसके लिए सरकार ने 700 करोड़ का बजट इस बार दिया है। किसान आकस्मिक बीमा में बदलाव किया गया है। अब परिवार के मुखिया की ही नहीं बल्कि किसी भी कमाऊ पूत की मौत होगी तो बीमे के रूप में 5
लाख की राशि मिलेगी। सरकार ने 600 करोड़ इसके लिए रखे हैं।
3. स्वच्छता मिशन के लिए बजट में वृद्धि
चौंकाने वाले फैसले योगी सरकार ने इस चुनावी साल में स्वच्छता के लिए जो बजट आवंटित किया है, उसे देखकर अर्थशास्त्रियों की आंखें फंटी की फंटी रह गई हैं। स्वच्छता मिशन के लिए सरकार ने 3 हजार 4 सौ 31 करोड़ का बजट दिया है। पिछले साल के मुकाबले इसमें भारी वृद्धि की गई है। गांव-गांव में और हर घर में अब शौचालय की व्यवस्था रहेगी। इसके अलावा स्वास्थ्य मिशन के लिए आवंटित किए गए 5 हजार 3 सौ 95 करोड़ की राशि भी कम चौंकाने वाली नहीं है। कोरोना काल में सरकार को लग गया है कि ग्रामीण यूपी की सेहत को और सुधारने की जरूरत है। आने वाले वित्तीय वर्ष में इस बजट से प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ जिला अस्पतालों की स्थिति में व्यापक सुधार देखने को मिलेगा।
4. आर्थिक स्थिति को बढ़ाने वाला निर्णय
कोरोना काल में पैसे की कमी की मार सरकार पर इस कदर पड़ी की सरकारी कर्मचारियों और मंत्रियों, विधायकों के वेतन तक में कटौती करनी पड़ी लेकिन, सरकार ने इससे सीख ली है। योगी सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए जो योजना तैयार की है, उसे राज्य का पूरा मैकेनिज्म चल रहा है। एक्सप्रेस वे, मेट्रो, मेडिकल कॉलेज में निवेश इसकी बड़ी झलक है। पूर्वांचल, गोरखपुर, बुन्देलखण्ड और गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए सरकार ने 11 हजार 148 करोड़ का भारी भरकम बजट रखा है। खेल समझ। एक्सप्रेस वे के निर्माण से वे सभी इकाईयां गिरने जा रही होंगी। जो इसके बनने में अनिश्चित माल उपलाई करती हैं। मेडिकल कॉलेज हो या फिर मेट्रो, सभी में सीमेण्ट और सरिया जैसी कंपनियों को खूब काम मिल जाएगा। इससे बड़े पैमाने पर लोगों के राजघर के अवसर पैदा होंगे।
5. 2022 के चुनावों के लिए गेम चेंजर प्लान
सरकार की दृढ़ता पर इसी तरह वर्तमान में कोई सवाल नहीं है लेकिन, वर्ष 2022 में होने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार ने गेम चेंजर कार्ड खेला है। अब ये आसानी से लोगों के बीच बातचीत में सुना जा सकता है कि मोदी सरकार ने गांव-गांव घर बनवाकर लोगों को जीत लिया है। योगी सरकार ने भी इसी पैटर्न पर
आने वाले साल के लिए बजट की व्यवस्था की है। गांव वालों के लिए 17 हजार 9 सौ 17 करोड़ की व्यवस्था की गई है। वास्तिविकता में तो ये राशि और बहुत बड़ी है लेकिन, आवास, मनरेगा और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए ही इतनी राशि दी गई है। आवास के लिए 7 हजार 369 करोड़ रुपये दिए गए हैं। लाखों की संख्या में बेग लोग इससे दूर लाभ उठाते हैं। किस घर में उन्हें चुनाव में कुछ कहने की जरूरत नहीं है। घर के लिए भेजे जाने वाला पैसा गेम चेंजर स्कीम मानी जा सकता है।
6. कुछ चिंताजनक निर्णय भी
इस बजट को देखकर अर्थशास्त्रियों के माथे परचिता की लकीरें भी उभरती हुई हैं। लिंगता इस बात की है कि राज्य पर कर्ज कितना होता है। लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। अशोक कुमार कैथल ने बताया कि राज्य की जीडीपी का 28.1 प्रतिशत कर्जा है। ये गंभीर मामला है। घोषणाओं को पूरा करने के लिए जरूरी है कि आपके पास पैसे की कमी न हो। बहुत कर्जे में योजनाओं के लिए पैसे का इंतजाम आसान काम नहीं है। सरकार की इस बात के लिए वाहवाही हो रही है कि उसकी कमी केंद्र सरकार के आधे से ज्यादा है। लगभग 4 प्रति के आसपास। लॉकडाउन में यूपी में टैक्स से काफी अच्छा पैसा आया है। अब खुसुर- फुसुर इस बात की हो रही है कि पैसा अच्छा आ रहा है तो बजट की साइज में महज 7 प्रति की ही वृद्धि क्यों की गई और ज्यादा का बजट सरकार ने क्यों पेश नहीं किया। अमूमन हर साल 10 प्रतिशत की ग्रोथ होती रही है। इस बार ये 7 फीसदी से बहुत ज्यादा रही है। बता दें कि पिछले वित्तीय वर्ष में योगी सरकार ने 5 लाख 12 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया था जबकि इस साल 7 फीसदी बढ़ते के साथ 5 लाख 50 हजार करोड़ का ही बजट पेश किया गया है।