काशी दौरे पर सोमवार को आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कनाडा से काशी आ रही मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की चर्चा की। पीएम ने कहा कि मां की मूर्ति कनाडा से जल्द काशी आ रही है। मूल रूप से वह मूर्ति 100 साल पहले अवैध तरीके से वहां गई थी। कनाडा के संग्रहालय में भारतीय कलाकार दिव्या मेहरा की नजर मूर्ति पर पड़ी तो उन्होंने इसका मामला उठाया।
हमारे देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां, हमारी आस्था के प्रतीक के साथ ही हमारी अमूल्य विरासत भी हैं।
आज जब काशी की विरासत वापस लौट रही है, तो ऐसा लग रहा है जैसे काशी, माता अन्नपूर्णा के आगमन की खबर सुनकर सजी-संवरी हो। pic.twitter.com/9eVBxlPrZ3
– नरेंद्र मोदी (@narendramodi) 30 नवंबर, 2020
काशी के राजघाट पर दीपोत्सव के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विवरण का जिक्र करते हुए कहा कि आप सबकी इच्छा मालूम है, 100 साल पहले मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा अवैध तरीके से कनाडा चली गई थी। उन्हें वापस लाने के लिए तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। जल्दी ही माँ अन्नपूर्णा अपने असली घर आ गई। प्रतिमा को वापस लाना हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि यह मूर्ति काशी की धरोहर है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वरपुरी से भी मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कनाडा से अन्नपूर्णा मां का विग्रह ले आया हूं। इस पर महंत जी ने कहा कि हमें दिया जाए।
कनाडा सरकार ने भारत के उच्चायुक्त को सौंपपी मूर्ति
कनाडा सरकार ने भारत के उच्चायुक्त को मूर्ति सौंप दी है। मूर्ति कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना में मिली है। मूर्ति के एक हाथ में खीर और दूसरे हाथ में अन्न मौजूद है। इस मूर्ति को अन्नपूर्णा मंदिर से चोरी कर पहुंचाया गया था। मूर्ति अब भारत लाई जा रही है।
मैकेंजी कलाकार खिड़कियों में रेजिना विश्वविद्यालय के संग्रह से मिली मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को अंतरिम राष्ट्रपति और विश्वविद्यालय के उप-कुलपति थो चेस ने कनाडा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को एक वर्ग समारोह में 19 नवंबर को आधिकारिक रूप से इस मूर्ति की जानकारी दी। इस समारोह में मैकेंजी कलाकार खिड़कियों, ग्लोबल अफेयर्स कनाडा और कनाडा के आदेश के बारे में एजेंसी के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया।
1936 में मैकेंजी ने करवाई मूर्ति की वसीयत की थी
भारतीय कलाकार दिव्या मेहरा ने खिड़कियों के स्थायी संग्रह में पाया कि इस मूर्ति की वसीयत 1936 में मैकेंजी ने करवाई थी और खिड़कियों के संग्रह में जोड़ा गया था। दिव्या ने मुद्दा उठाया और कहा कि यह अवैध रूप से कनाडा में लाई गई है। शोध में पता चला कि मैकेंजी ने 1913 में भारत यात्रा की थी। यह मूर्ति उसी के बाद यहां से कनाडा पहुंची।
कनाडा की मैकेंजी कमरों में मिली माता अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति का काशी लाया जाना ऐतिहासिक क्षण है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब दुनिया से किसी देश की ओर से लौटाई गई कोई धरोहर उत्तर प्रदेश को सौंपी जाएगी।
दुनिया के विभिन्न देशों से अब तक एक दर्जन से अधिक मूर्तियां वापस लाई गई हैं। उन्हें कुछ दुर्लभ मूर्तियों को उनकी शैली व संदर्भों के आधार पर चिह्नित करके कर्नाटक और आंध्र प्रदेश को सौंपा गया है। जबकि ज्यादातर मूर्तियां राष्ट्रीय म्यूजियम में संरक्षित हैं। इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश का तीसरा राज्य बन सकता है, जिसे सौ साल से अधिक समय बाद अपनी धरोहर वापस मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को की मन की बात 'कार्यक्रम में कनाडा से लौटने वाली देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति की चर्चा भी की।) प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में इस मूर्ति के काशी के किसी मंदिर से 1993 में चोरी-छिपे कनाडा ले जाए जाने का जिक्र करके इस बात पर मुहर भी लगा दी है कि यह मूर्ति काशी की है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ। कुलपति तिवारी ने प्रधानमंत्री के ट्वीट का स्वागत करते हुए कहा है कि माता अन्नपूर्णा की इस दुर्लभ मूर्ति के लिए विश्वनाथ कॉरिडोर में प्रस्तावित संग्रहालय से सर्वश्रेष्ठ दूसरा स्थान नहीं हो सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया है कि कॉरिडोर के संग्रहालय में उक्त मूर्ति के लिए विशेष मंडप बनवाया जाएगा। महिलाविद प्रो। मारुतिनंदन तिवारी ने कहा कि मूर्ति को प्रत्यक्ष देखे बिना उसकी पुरातनता के बारे में दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता है। हां, छायाचित्र देखकर यह अनुमान है कि उस मूर्ति की आयु पाँच सौ वर्ष की हो सकती है।