Wednesday, March 29, 2023
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कृषि कानूनों पर प्रदर्शन का क्या मतलब, जब कोर्ट के सामने है मामला- सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court on Kisan Mahapanchayat plea to protest in delhi कृषि कानूनों पर प्रदर्शन का क्या मतलब,- India TV Hindi
Image Source : PTI & ANI
कृषि कानूनों पर प्रदर्शन का क्या मतलब, जब कोर्ट के सामने है मामला- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज किसान महापंचायत की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में किसान महापंचायत ने जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की मांग की है। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि एक बार अगर आपने कोर्ट में क़ानूनों को चुनौती दे दी है तो फिर प्रदर्शन का क्या मतलब है, क्योंकि मामला कोर्ट के अधीन है। कोर्ट में क़ानूनों को चुनौती देकर आपने अपने अधिकार का इस्तेमाल कर लिया है, तो फिर प्रदर्शन की इजाज़त क्यों मिलनी चाहिए?

इस मसले पर अब अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी। किसान महापंचायत का कहना है कि वो दिल्ली की सीमाओं पर पर बैठे किसानों संगठनों से अलग है। 26 जनवरी की घटना के बाद इन्होंने अपने आप को उन संगठनों से अलग कर लिया था।

सुनवाई के दौरान जज ने सवाल करते हुए पूछा कि आप किसके ख़िलाफ प्रदर्शन करेंगे? अभी मौजूदा समय में कोई क़ानून नहीं है, क़ानूनों पर फ़िलहाल रोक लगाई हुई है, तो प्रदर्शन किस लिए? उन्होंने कहा कि एक बार मामला कोर्ट के सामने आ चुका है तो किसी को भी सड़कों पर नहीं होना चाहिए। इस दौरान जस्टिस खानविलकर ने कहा जब किसी की मौत होती है या प्रॉपर्टी को नुकसान किया जाता है तो कोई उसकी जिम्मेदारी लेने सामने नहीं आता। 

मामले में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि जब तक वैधता तय नहीं हो जाती विरोध प्रदर्शन जारी नहीं रह सकता। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं। उन्होंने सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी की घटना का सुप्रीम कोर्ट में जिक्र किया। अटॉर्नी जनरल ने कहा इस आंदोलन से लखीमपुर खीरी में क्या हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित किसान महापंचायत को अपने पास स्थानांतरित किया है और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। 




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