चार्जशीट के मुताबिक, 5/10/2020 को स्विफ्ट डेजिज कार में अभियुक्त अतिकुर रहमान, आलम, सिद्धकी कपान, मसूद के पकड़े जाने पर उनके कब्जे से 6 स्मार्टफोन, 1 लैपटॉप, 1717 प्रिंटेड आर्गज़न्स के बंच बरामद किए गए थे। प्रिंटेड कागज़ों में जाति और समुदाय के आधार पर हिंसा भड़काने के चिपोगन लिखे पाए गए और एक बेबसाइट बनाकर भी माहौल खराब करने की कोशिश की गई। जस्टिस फ़ॉर हैंडर्स बेबलाइट्स के ज़रिए से दंगे फैलाने की योजना थी। एसटीएफ ने कहा है कि कही हमसे साक्ष्य मिला है की उपरोक्त घटना के पीछे एक आतंकी सहयोगियों था, जो भारत की अखंडता को खराब करना चाहता था।
इस आतंकी घटनाओं को देश और विदेशों से काफी फंडिग की गई थी। पीएफआई के कहने पर भी मथुरा से गिरफ्तार चारो लोग हाथरस जा रहे थे। इसके अलावा साम्प्रदायिक दंगों के अन्य अभियुक्त सरवर अली- कैराना, मुफ्ती शहजाद- गाजियाबाद, मुनेर- कैराना, कंप्यूटिंग- कैराना, फरमान- हापुड़, अहमद परवेज- गाजियाबाद, अकरम- गाजियाबाद, नसीरुद्दीन- बिजनौर, नूर हसन- हापुड़, , मोहम्मद दानिश- त्रिलोकपुरी, रऊफ- केरल, साजिद बिन सईद- दिल्ली, मोहम्मद इलियास- दिल्ली। ये सभी पीएफआई और उसकी अन्य शाखा से जुड़े हुए हैं।
ये सभी सिद्दीकी कपान के व्हाट्सऐप डेटा, मोबाइल लोकेशन और आरोपी रौफ शरीफ के बयान से सिंतबर 2020 में पीएफआई की एक सीक्रेट वर्क शॉप में शामिल थे। इस विशेष वर्कशॉप में इन सभी आरोपियों को अलग-अलग टस्क देकर उत्तर प्रदेश में किसी बड़ी आपराधिक वारदात और साम्प्रदायिक घटना की आड़ में हिंसक घटना करवाने की साजिश रची गई थी। इस अनुबंध के लिए देश और विदेशों से फंडिग आई जिसका इस्तेमाल देशभर में माहोल खराब करने के लिए किया गया था और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की इनपुट रची जा रही थी.लखनऊ से गिरफ्तार इनके साथी आरोपी बरूदीन और फिर खान खान से बरामद विस्फोटक से यह क्लीन था कही यह सभी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में जुटे थे। आरोपियों के कब्जे से बरामद लैपटॉप में आतंकी सगठन सिमी के आतंकवादियों की स्पीच पाई गई थी। वहीं बरामदगीट्स से पीएफआई के कार्यालय प्रबंधक कम केपी द्वारा एक गुप्त वर्कशॉप सितंबर 2020 में आयोजित किए जाने के सबूत मिले हैं।
सिद्दीकी कपान की पीएफआई के कई नेताओं से चैट्स पाए गए हैं, जिसमें दलित व आदिवासी मामलों को तूल देकर सगठन के पक्ष में इस्तेमाल करने के आदेश दिए गए थे। यही नहीं सिद्दीकी कपान द्वारा आतंकी गिलानी को फांसी के पश्चात पोस्टमार्टम के दौरान एम्स की मोर्चरी पर ज्यादा से ज्यादा तादात में भीड़ इकट्ठा करने का मेसजे दिया गया था। चैट्स में पीएफआई के टॉप लीडर्स के निर्देश पर साम्प्रदायिक लेख लिखने की बात भी सामने आई है।
हाथरस कांड का दिल्ली हियाँस से क्या लकींक है?
दिल्ली हिंसा में पीएफआई की फंडिग की जाने के सबूत भी मिले। चार्जशीट के मुताबिक, केरल में एक वर्कशॉप की गई थी, जिसमें देश मे माहोल खराब करने दंगे भड़काने की कंप्यूटिंग का तानाबाना बुना गया था। प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के कई पूर्व सदस्य वर्तमान मे पीएफआई और रिहेब इंडिया फाउंडेशन से जुड़े हुए है। पीएफआई के नए युवा छात्रों का ब्रेन बॉश पर उन्हें देश विरोधी गतिविधियों में शामिल करने में भी जुटा है। आरोपी दानिश त्रिलोकपुरी से पीएफआई का अध्यक्ष है। आरोपी रौफ शरीफ के बैंक खाते के आई देश और विदेशी राशि 18 लाख रुपए से शाहीन बाग स्थित दफ्तर का किराया नगद में पिछले 5 साल तक देने वाला ल प्रमाण भी मिला है।